India Languages, asked by farizauraku9213, 1 year ago

Shoart essay in hindi on bharat mei sampradayikta aur jativaad ki smasya

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Answered by Anonymous
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सांप्रदायिकता का अर्थ और कारण – जब कोई संप्रदाय स्वयं को सर्वश्रेष्ठ और अन्य स्म्प्दयों को निम्न मानने लगता है, तब सांप्रदायिकता का जन्म होता है | दूसरी तरफ भी कम अंधे लोग नहींआपस में दोऊ लरै मरतु हैं, मरम कोई नहीं जाना ||

सर्वव्यापक समस्या – सांप्रदायिकता विश्व-भर में व्याप्त बुराई है | इंग्लैंड में रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट ; मुसलिम देशों में शिया और सुन्नी ; भारत में बैाद्ध-वैष्णव, सैव- बैाद्ध, सनातनी, आर्यसमाजी, हिन्दू-सिक्ख झगड़े उभरते रहे हैं | एन झगड़ों के कारण जैसा नरसंहार होता है, जैसी धन-संपति की हानि होती है, उसे देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं |

           भारत में सांप्रदायिकता – भारत में सांप्रदायिकता की शुरूआत मुसलमानों के भारत में आने से हुई | शासन और शक्ति के मद में अन्धें आक्रमणकारियों ने धर्म को आधार बनाकर यहाँ के जन-जीवन को रौंद डाला | धार्मिक तीर्थों का तोड़ा, देवी-देवताओं को अपमानित किया, बहु-बेटियों को अपवित्र किया, जान-माल का हरण किया | परिणामस्वरूप हिंदू जाति के मन में उन पाप-कर्मो के प्रति गहरी घ्रणा भर गई, जो आज तक भी जीवित है | बात-बात पर हिंदू-मुसलिम संघर्ष का भड़क उठना उसी घ्रणा का सूचक है |

           सांप्रदायिक घटनाएँ – सांप्रदायिकता को भड़कने में अंग्रेज शासकों का गहरा षड्यंत्र था | वे हिन्दू-मुसलिम झगड़े फैलाकर शासक बने रहने चाहते थे | उन्होनें सफलतापूर्वक दोनों को लड़ाया | आज़ादी से पहले अनेक खुनी संघर्ष हुए | आज़दी के बाद तो विभाजन का जो संघर्ष और भीषण नर-संहार हुआ, उसे देखकर समूची मानवता रो पड़ी | शहर-के-शहर गाजर-मुली की तरह काट डाले गए | अयोध्या के रामजन्म-भूमि विवाद ने देश में फिर से सांप्रदायिक आग भड़का दी है | बाबरी मसजिद का ढहाया जाना और उसके बदले सैंकड़ों मंदिरों का ढहाया जाना ताजा घटनाएँ हैं |

           समाधान – सांप्रदायिकता की समस्या तब तक नहीं सुलझ सकती, जब रक् कि धर्म के ठेकेदार उसे सुलझाना नहीं चाहते | यदि सभी धर्मों के अनुयायी दूसरों के मत का सम्मान करें, उन्हें स्वीकारें, अपनाएँ, उनके कार्यक्रमों में सम्मिलित हों, उन्हें उत्सवों पर बधाई देकर भाईचारे का परिचय दें | विभिन्न धर्मों के संघषों को महत्व देने की बजाय उनकी समानताओं को महत्व दें तो आपसी झगड़े पैदाही न हों | कभी-कभी ईद-मिलन या होली-दिवाली पर ऐसे दृश्य दिखाई देते हैं तो एक सुखद आशा जन्म लेती है | साहित्यकार और कलाकार भी सांप्रदायिकता से मुक्ति दिलाने में योगदान कर सकते हैं होते | परिणामस्वरूप एक संप्रदाय के अंधे लोग अन्य धर्मांधों से भिड पड़ते है और सारा जन-जीवन लहूलुहान कर देते हैं | इन्हीं अंधों को फटकारते हुए महात्मा कबीर ने कहा है –

हिंदू कहत राम हमारा, मुसलमान रहमाना |

Answered by Ritikakinha1234
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Answer:

प्रस्तावना- सम्प्रदाय का अर्थ है – विशेष रूप से देने योग्य, सामान्य रूप से नहीं अर्थात् हिन्दूमतावलम्बी के घर में जन्म लेने वाले बालक को हिन्दू धर्म की ही शिक्षा मिल सकती है, दूसरे को नहीं। इस प्रकार से साम्प्रदायिकता का अर्थ हुआ एक पन्थ, एक मत, एक धर्म या एक वाद। न केवल हमारा देश ही अपितु विश्व के अनेक देश भी साम्प्रदायिक हैं। अतः वहां भी साम्प्रदायिक हैं। अतः वहाँ भी साम्प्रदायिकता है। इस प्रकार साम्प्रदायिकता का विश्व व्यापी रूप है। इस तरह यह विश्व चर्चित और प्रभावित है।

Sampradayikta Essay in Hindiसाम्प्रदायिकता के दुष्परिणाम– साम्प्रदायिकता के अर्थ आज बुरे हो गए हैं। इससे आज चारों और भेदभाव, नफरत और कटुता का जहर फैलता जा रहा है। साम्प्रदायिकता से प्रभावित व्यक्ति, समाज और राष्ट्र एक-दूसरे के प्रति असद्भावों को पहुँचाता है। धर्म और धर्म नीति जब मदान्धता को पुन लेती है। तब वहाँ साम्प्रदायिकता उत्पन्न हो जाती है। उस समय धर्म-धर्म नहीं रह जाता है वह तो काल का रूप धारण करके मानवता को ही समाप्त करने पर तुल जाता है। फिर नैतिकता, शिष्टता, उदारता, सरलता, सहदयता आदि सात्विक और दैवीय गुणों और प्रभावों को कहीं शरण नहीं मिलती है। सत्कर्त्तव्य जैसे निरीह बनकर किंकर्त्तव्यविमूढ़ हो जाता है। परस्पर सम्बन्ध कितने गलत और कितने नारकीय बन जाते हैं। इसकी कहीं कुछ न सीमा रह जाती है और न कोई अुनमान। बलात्कार, हत्या, अनाचार, दुराचार आदि पाश्विक दुष्प्रवृत्तियाँ हुँकारने लगती हैं। परिणामस्वरूप मानवता का कहीं कोई चिन्ह नहीं रह जाता है।

इतिहास साक्षी है कि साम्प्रदायिकता की भयंकरता के फलस्वरूप ही अनेकानेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्ररीय स्तर पर भीषण रक्तपात हुआ है। अनेक राज्यों और जातियों का पतन हुआ है। अनेक देश साम्प्रदायिकता के कारण ही पराधीनता की बेडि़यों में जकड़े गए हैं। अनेक देशों का विभाजन भी साम्प्रदायिकता के फैलते हुए जहर-पान से ही हुआ है।

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