Short anuched on bhikshavriti 80 words
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This is your answer. भिक्षावृत्ति से तात्पर्य है भीख मांग कर जीविका अर्जित करना | यह हमारा जीवन – यापन का निकृष्टतम तरीका कहलाता है | इस तरीके का सहारा वे ही लोग लेते है जो अपने मान – सम्मान , पुरुषत्व और पुरुषार्थ का त्याग कर देते है | भिक्षावृत्ति के लिए लोगो को झूठ- सच्चे बहाने बनाकर अपनी हीनता प्रकट कर दूसरो के दिलो में दया की भावना जगानी पडती है, तब कही जाकर वह चवन्नी अथवा अठन्नी प्राप्त करने में सफल हो पाता है | इस कार्य को तभी व्यक्ति नही कर सकते है | इस कार्य को वे व्यक्ति कर सकते है जो या तो स्वभाव से ही हिन् मनोवृति वाले होते है या फिर वे प्रकृति द्वारा वास्वत में हिन बना दिये जाते है |
भिखारी कई प्रकार के होते है | एक तो जन्मजात भिखारी होते है अर्थात जो भिखारी के यहाँ उत्पन्न होते है, जो भीख मांगने के अतिरिक्त कुछ नही कर सकते है | दूसरे वे लोग होते है , जो शारीरिक रूप से अपंग होते है अथवा किसी विषम बिमारी के शिकार होते है | तथा उनके आगे – पीछे सहायता करने वाला कोई भी न होने के कारण उन्हें भिक्षावृत्ति के लिए बाध्य होना पड़ता है | तीसरे वे वृद्ध परुष होते है जो समर्ध परिवार से सम्बन्धित होने पर भी परिवार जनों द्वारा परित्यक्त कर दिए जाते है | इस प्रकार के सभी भिखारी कुछ विशेष परिस्थतियो में भिक्षा के पात्र होते है |
इनके अतिरिक्त कुछ सुविधाजीवी व्यक्ति भी भिखारी का रूप धारण करके दया – करुणा का लाभ उठाकर मुफ्त में धन प्राप्त करके मौज उड़ाते है या अपनी नशे की लत को पूरा करते है | एक श्रेणी उन भिखारियों की भी होती है जो देहाती में फंसकर भिखारी बना दिये जाते है | इन्हें भीख की साड़ी कमाई दादा लोगो को देनी पडती है | आजकल इस तरह के भिखारी बहुत अधिक संख्या में पाए जाते है |
अब प्रश्न उठता है कि इस भिक्षावृत्ति को कैसे रोका जाए ? भारतवर्ष में यह कार्य बहुत कठिन दिखाई पड़ता है क्योकि यहाँ लोग धर्मभीरु है, वे किसी का शाप लेने को तैयार नही है | इसको समाप्त करने के लिए हम सभी को भिक्षा न देने के लिए दृढ निश्चयी होना होगा | दुसरे जो लोग सचमुच असमर्थ है उनकी रोटी , कपड़े व आवास की समुचित व्यवस्था करके भी इसे रोका जा सकता है | जब इन वास्तविक असमर्थो की व्यवस्था हो जाएगी तो ये भिक्षावृत्ति से हट ही जाएँगे साथ ही दूसरो को भी उनकी आड़ में भीख मांगने का अवसर नही मिलेगा और वे स्वत : ही अपनी जीविका खोजने पर विवश हो जाएंगे | इनके अतिरिक्त अन्य उपाय अभी तक कारगर नही हो पाए है |
भिखारी कई प्रकार के होते है | एक तो जन्मजात भिखारी होते है अर्थात जो भिखारी के यहाँ उत्पन्न होते है, जो भीख मांगने के अतिरिक्त कुछ नही कर सकते है | दूसरे वे लोग होते है , जो शारीरिक रूप से अपंग होते है अथवा किसी विषम बिमारी के शिकार होते है | तथा उनके आगे – पीछे सहायता करने वाला कोई भी न होने के कारण उन्हें भिक्षावृत्ति के लिए बाध्य होना पड़ता है | तीसरे वे वृद्ध परुष होते है जो समर्ध परिवार से सम्बन्धित होने पर भी परिवार जनों द्वारा परित्यक्त कर दिए जाते है | इस प्रकार के सभी भिखारी कुछ विशेष परिस्थतियो में भिक्षा के पात्र होते है |
इनके अतिरिक्त कुछ सुविधाजीवी व्यक्ति भी भिखारी का रूप धारण करके दया – करुणा का लाभ उठाकर मुफ्त में धन प्राप्त करके मौज उड़ाते है या अपनी नशे की लत को पूरा करते है | एक श्रेणी उन भिखारियों की भी होती है जो देहाती में फंसकर भिखारी बना दिये जाते है | इन्हें भीख की साड़ी कमाई दादा लोगो को देनी पडती है | आजकल इस तरह के भिखारी बहुत अधिक संख्या में पाए जाते है |
अब प्रश्न उठता है कि इस भिक्षावृत्ति को कैसे रोका जाए ? भारतवर्ष में यह कार्य बहुत कठिन दिखाई पड़ता है क्योकि यहाँ लोग धर्मभीरु है, वे किसी का शाप लेने को तैयार नही है | इसको समाप्त करने के लिए हम सभी को भिक्षा न देने के लिए दृढ निश्चयी होना होगा | दुसरे जो लोग सचमुच असमर्थ है उनकी रोटी , कपड़े व आवास की समुचित व्यवस्था करके भी इसे रोका जा सकता है | जब इन वास्तविक असमर्थो की व्यवस्था हो जाएगी तो ये भिक्षावृत्ति से हट ही जाएँगे साथ ही दूसरो को भी उनकी आड़ में भीख मांगने का अवसर नही मिलेगा और वे स्वत : ही अपनी जीविका खोजने पर विवश हो जाएंगे | इनके अतिरिक्त अन्य उपाय अभी तक कारगर नही हो पाए है |
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