Short essay on chitthiyon ka mahatva in hindi
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चिट्ठी का महत्व पर शार्ट निबंध
मैं चिट्ठी हूं। मैं अब बीते जमाने की वस्तु बनती जा रही हूं, लेकिन एक समय था जब मेरा ही जलवा था। मेरा इतिहास बहुत पुराना है। मैं बहुत बूढ़ी हूं, अब लगता है मैं कुछ ज्यादा ही बूढ़ी हो गयी हूं और लोग मुझे रिटायर करने पर तुले हुए हैं। अब मेरे आगे की पीढ़ी आ गई है, जिसका नाम ईमेल है, एस.एम.एस है, व्हाट्स एप है।
अब शायद मुझे लगता है कि मेरा समय बीत गया। अब मैं यदा-कदा ही लोगों के घर में दस्तक दे पाती हूं। नहीं तो पहले का समय था जब मैं हर घर पर अपनी दस्तक देती ती और हर घर की प्रिय था। मुझे देखकर लोगों की चेहरे खिल जाते थे उन्हें मेरे अंदर उनके किसी प्रियजन की कुशलता का समाचार मिलने का आभास होता था। लोगों को खुशी देख कर मुझे भी बड़ी प्रसन्नता का अनुभव होता था और मैं इस कार्य को करके स्वयं को धन्य मानती थी।
मैं देख रही हूँ कि मेरे आगे की पीढ़ी ईमेल, एस.एम.एस और मैसेजिंग एप जैसे साधन आ गए है। लेकिन उनमें उस अपनेपन की कमी है, जो मेरे अंदर होती थी। मुझे लिखने में लोग अपनी पूरी कला-कौशल का उपयोग करते थे। जो कभी लेखक नहीं रहे वह भी मुझे बड़े जतन से लिखते थे। लेकिन आजकल के आधुनिक साधन मेरे जैसे नहीं रहे, जिसमें लोग अपनी लेखन कला कौशल का उपयोग करें। आजकल तो बस औपचारिकता ही निभा देते हैं।
मुझे उम्मीद है शायद मेरा समय पुनः कभी लौट कर आए। इसी उम्मीद में मैं अपनी व्यथा यहीं समाप्त करती हूं। मैं चिट्ठी हूँ।