Hindi, asked by sai4703, 1 year ago

short essay on eid mubarak in hindi

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Answered by cuttiepie31
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Hii Friend here is ur answer

विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ पर अनेक धर्मो के लोग एक साथ निवास करते हैं । जिस प्रकार हिन्दुओं के प्रसिद्ध त्योहार दीवाली, होली, जन्माष्टमी हैं, उसी प्रकार मुसलमानों के दो प्रसिद्ध त्योहार हैं जिनमें से एक को ईद अथवा ईदुल फितर कहा जाता है तथा दूसरे को ईदुज्जुहा अथवा बकरईद कहा जाता है ।

यह त्योहार प्रेमभाव तथा भाईचारा बढ़ाने वाले हैं । मुसलमान इन त्योहारों को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं । ईदुल फितर का त्योहार एक मास के रोजे रखने के पश्चात आता है । ईद की प्रतीक्षा हर व्यक्ति को रहती है । ईद का चाँद सब के लिए विनम्रता तथा भाईचारे का संदेश लेकर आता है ।

चाँद रात की खुशी का ठिकाना ही नहीं, रात भर लोग बाजारों में कपड़े तथा जूते इत्यादि खरीदते हैं । वैसे तो ईद की तैयारियाँ लगभग एक मास पूर्व ही प्रारम्भ हो जाती है । लोग नये-नये कपड़े सिलवाते हैं, मकानों को सजाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे ईद का चाँद देखने के दिन निकट आते हैं, मुसलमान अत्यन्त उत्साहित होकर रोजे रखते हैं तथा पाँच समय की नमाज के साथ ही ‘तरावीह’ भी पढ़ा करते हैं, यह सारी इबादतें सामूहिक रूप से की जाती हैं ।

रमजान की समाप्ति ईद के त्यौहार की खुशी लेकर आती है । इस दिन लोग सुबह को फजिर की सामूहिक नमाज अदा करके नये कपड़े पहनते हैं । नये कपडों पर ‘इतर’ भी लगाया जाता है तथा सिर पर टोपी ओढ़ी जाती है, तत्पश्चात लोग अपने-अपने घरों से ‘नमाजे दोगाना’ पढ़ने ईदगाह अथवा जामा मस्जिद जाते हैं ।

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Answered by muntaha13
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ईद-उल-फितर' या 'ईद' मुसलमानों के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार दुनिया भर के मुसलमानों का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्यौहार है। यह त्यौहार भारत सहित पूरी दुनिया में बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। ईद का त्यौहार रमजान के पवित्र महीने के बाद मनाया जाता है। 

मुसलमानों के लिए रमजान के दिनों का बहुत महत्त्व है। इस दौरान वे दिन भर पूर्ण उपवास रखते हैं। पानी पीना भी वर्जित होता है। शाम को नमाज़ अदा कर ही भोजन ग्रहण करते हैं। रमजान के महीने के अंतिम दिन जब आकाश में चाँद दिखाई देता है तो उसके दूसरे दिन ईद मनाई जाती है। 

ईद का त्यौहार मनाने की तैयारी पहले से ही आरम्भ कर दी जाती है। बच्चे, युवा, वृद्ध सभी उत्साहित दिखाई देते हैं। बाज़ारों में भीड़ बढ़ जाती है। अमीर-गरीब सभी नए वस्त्र, जूते-चप्पल, उपहार आदि खरीदने में व्यस्त हो जाते हैं। 

ईद के दिन सुबह से ही बच्चे, युवा, वृद्ध सभी विशेष प्रकार के वस्त्र पहनकर, सर पर टोपी लगाकर ईदगाह में जमा होने लगते हैं। वहाँ सभी पंक्तिबद्ध होकर विशेष नमाज़ अदा करते हैं। देश की सभी प्रमुख मस्जिदों में भी ऐसा ही दृश्य देखा जा सकता है। सभी आपसी भेद-भाव भूलकर गले मिलते हैं और एक-दूसरे को ईद की बधाई देते हैं। 

ईद के दिन मुसलमानों के घर मीठी सेवईं बनती है। इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार के व्यंजन भी तैयार किये जाते हैं। लोग अपने सगे सम्बन्धियों के घर जाकर उन्हें ईद की मुबारकबाद देते हैं। रात में मस्जिदों पर रोशनी की जाती है। 

ईद आपसी मिलन और भाई-चारे का त्यौहार है। यह त्यौहार भारत की बहुआयामी संस्कृति का प्रतीक है। इस त्यौहार पर भारत के सभी समुदायों के लोग बहुत खुश होते हैं। ईद का त्यौहार सभी के लिए खुशियाँ लेकर आता है। यह त्यौहार दया, परोपकार, उदारता, भाई-चारा आदि मानवीय भावनाओं से युक्त होता है।
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