Short essy on wood peckr in hindi
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कठफोड़वा (Woodpecker) भारत के मशहूर पक्षियों में से एक है | घने जंगलो की अपेक्षा यह पुराने बागो में रहना पसंद करता है | आइये आपको कठफोडवे (Woodpecker) से जुड़े रोचक तथ्य बताते है |
कठफोड़वा अक्सर अपनी चोंच से पेड़ के तने को ठोकता रहता है ताकि पपड़ियो के पीछे छिपकर रहने वाले कीड़े बाहर आ जाए और यह अपनी लम्बी जुबान से उन्हें खा सके |
कठफोड़वा (Woodpecker) जब पेड़ पर सुराख करता है सुराख के लिए चोट करने की आवाज दूर दूर तक सुनाई देती है |
अधिकतर आम के पेड़ो पर बने इसके घोंसले बहुत आकर्षक होते है |
जंगली कठफोड़वे की औसतन उम्र 4 से 12 वर्ष होती है लेकिन बड़े कठफोड़वो की उम्र अच्छी परिस्थितया होने पर 20 या 30 वर्ष भी हो सकती है |
कठफोड़वे की चोंच मारने की गति प्रति सैंकड़ 20 बार है और प्रतिदिन ये 8000 से 12000 बार चोंच पेड़ो पर मरता रहता है |
इस सुंदर चिड़िया के नर और मादा में थोडा ही फर्क होता है | नर का माथा और चोटी सुर्ख और गर्दन काली , जिसमे आँख के नीचे से डैने तक एक सफेद धारी होती है |
दुम और इसका निचला हिस्सा काला होता है | मादा के सीने का रंग ज्यादा सफेद होता है |
आँख की पुतली भूरापन लिए लाल , चोंच स्लेटी और पैर हरापन लिए स्लेटी रंग के होते है |
फरवरी से जुलाई के बीच जब इसके अंडे देने का समय आता है तब यह किसी पेड़ के तने में अपनी तेज और नुकीली चोंच से इतना बड़ा सुराख कर लेता है कि उसमे यह आसानी से आ जा सके |
कठफोड़वा की 210 किस्मे मिलती है जो 6-14 इंच लम्बाई में होती है | कुछ उपजाति 22 सेमी से ज्यादा लम्बी होती है |
छोटा कठफोड़वा दक्षिणी अमेरिका ,अफ्रीका और एशिया में मिलता है जिसकी लम्बाई 3-4 इंच होती है |
कुछ उपजातियाँ हरी ,भूरी और स्लेटी होती है कुछ पिली या लाल होती है | बड़ी उपजातियाँ बड़े पेड़ो के जंगलो में पायी जाती है |
टिपिकल वूड पकर अपना अधिकतर समय पेड़ो की तनो और बड़ी शाखाओं पर बिताती है | सड़ी हुयी लकड़ी की खोज में यह दूर तक जाती है जिन पर इसे खाने के लिए कीड़े मिल जाते है |
छोटी उपजातियाँ अपना अधिकतर समय छोटी टहनियों पर बिताती है | कुछ जमीन पर चींटीयो का शिकार करती है |
दक्षिणी अमेरिका का ग्राउंड वुड पेकर अपना अधिकाँश समय जमीन पर बिताता है |
कठफोड़वा अक्सर अपनी चोंच से पेड़ के तने को ठोकता रहता है ताकि पपड़ियो के पीछे छिपकर रहने वाले कीड़े बाहर आ जाए और यह अपनी लम्बी जुबान से उन्हें खा सके |
कठफोड़वा (Woodpecker) जब पेड़ पर सुराख करता है सुराख के लिए चोट करने की आवाज दूर दूर तक सुनाई देती है |
अधिकतर आम के पेड़ो पर बने इसके घोंसले बहुत आकर्षक होते है |
जंगली कठफोड़वे की औसतन उम्र 4 से 12 वर्ष होती है लेकिन बड़े कठफोड़वो की उम्र अच्छी परिस्थितया होने पर 20 या 30 वर्ष भी हो सकती है |
कठफोड़वे की चोंच मारने की गति प्रति सैंकड़ 20 बार है और प्रतिदिन ये 8000 से 12000 बार चोंच पेड़ो पर मरता रहता है |
इस सुंदर चिड़िया के नर और मादा में थोडा ही फर्क होता है | नर का माथा और चोटी सुर्ख और गर्दन काली , जिसमे आँख के नीचे से डैने तक एक सफेद धारी होती है |
दुम और इसका निचला हिस्सा काला होता है | मादा के सीने का रंग ज्यादा सफेद होता है |
आँख की पुतली भूरापन लिए लाल , चोंच स्लेटी और पैर हरापन लिए स्लेटी रंग के होते है |
फरवरी से जुलाई के बीच जब इसके अंडे देने का समय आता है तब यह किसी पेड़ के तने में अपनी तेज और नुकीली चोंच से इतना बड़ा सुराख कर लेता है कि उसमे यह आसानी से आ जा सके |
कठफोड़वा की 210 किस्मे मिलती है जो 6-14 इंच लम्बाई में होती है | कुछ उपजाति 22 सेमी से ज्यादा लम्बी होती है |
छोटा कठफोड़वा दक्षिणी अमेरिका ,अफ्रीका और एशिया में मिलता है जिसकी लम्बाई 3-4 इंच होती है |
कुछ उपजातियाँ हरी ,भूरी और स्लेटी होती है कुछ पिली या लाल होती है | बड़ी उपजातियाँ बड़े पेड़ो के जंगलो में पायी जाती है |
टिपिकल वूड पकर अपना अधिकतर समय पेड़ो की तनो और बड़ी शाखाओं पर बिताती है | सड़ी हुयी लकड़ी की खोज में यह दूर तक जाती है जिन पर इसे खाने के लिए कीड़े मिल जाते है |
छोटी उपजातियाँ अपना अधिकतर समय छोटी टहनियों पर बिताती है | कुछ जमीन पर चींटीयो का शिकार करती है |
दक्षिणी अमेरिका का ग्राउंड वुड पेकर अपना अधिकाँश समय जमीन पर बिताता है |
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