Hindi, asked by vinay7915, 1 year ago

Short hindi essay on sab se pyara hamara desh

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Answered by abhijeetcid
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मेरा प्यारा भारत देश

भारत : हम सबका प्रिय – सभी प्राणी अपनी जन्मभूमि को जन से भी पियारा मानते हैं तथा उसी की सबसे सुंदर मानते हैं | हम भारतवासियों के लिए भी हमारा भारत सबसे प्रिय है |

      प्राकृतिक सौंदर्य – प्राकृति ने भारत की देह का निर्माण एक सुंदर देवी के रूप में क्या है | हिमाचल की बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ उसका सुंदर मुकुट है | अटक से कटक तक फैली उसकी विस्तुत बाहें है | कन्याकुमारी उस देवी के चरण हैं जो तीन ओर से घिरे समुंद्र में विहार करने का निरंतर आनंद ले रहे है | गंगा-यमुना की धाराएँ उस देवी की छाती से निकलने वाला अमृत है जिसका पान करके देश के एक अरब पुत्र धन्य होते है |

      विविधताओं का सागर – भारतवर्ष विविधताओं का जादू-भरा पिटारा है | इसमें पहाड़ियाँ भी है, समुंद्र भी ; जल-पूरित प्रदेश भी हैं तो सूखे रेगिस्तान भी ; हरियाली भी है ; उजाड़ भी ; तपती लू भी है तो शीतल हवाएँ भी ; बीहड़ वन भी हैं तो विस्तुत मैदान भी ; यहाँ वसंत भी है तो पतझड़ भी | यहाँ खान-पान, रहन-सहन, धर्म-साधना, विचार-चिंतन किसकी विविधता नहीं है ? यही विविधता हमारी शान है, हमारी समृद्धि का कारण है |

      धन और ज्ञान का भंडार – भारतवर्ष को ज्ञान के कारण ‘जगद्गुरु’ तथा धन-वैभव के कारण ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था | भारत में जितने खनिज भंडार हैं, उतने अन्य किसी देश में नहीं | हमारी इसी संपति को लुटने के लिए लुटेरे बार-बार भारत पर आक्रमण करते रहे | आज भी भारत की कोख रत्नों से खली नहीं हुई है |

      ज्ञान के क्षेत्र में सारा विश्व भारत का ऋणी है | शून्य और गणना- पद्धति भारतवर्ष की दें है | इसी पर विज्ञान की सारी सभ्यता टिकी हुईं है | यहाँ के शिल्प, कला- कौशल, ज्योतिष- ज्ञान विश्व भर को आलोक देते रहें हैं |  

      सत्य, अध्यात्म और अहिंसा की धरती –भारत के लिए सबसे अधिक गौरव की बात यह है कि इस धरती ने विश्व को सत्य, अहिंसा धर्म और सर्वधर्मसमभाव का संदेश दिया | भारत में जैन, बोद्ध, हिन्दू जैसे विशाल धर्मो ने जनम लिया किंतु कभी दुसरे देश पर जबरदस्ती अधिकार करने का यत्न नहीं किया | यहाँ तक कि हमने आज़ादी की लड़ाई भी अहिंसा के अलौकिक अस्त्र से जीती | विशव की सभी समस्याओं पर विचार करने और उसका शंतितुर्ण हल धुंडने में भी भारत अग्रणी रहा है | आज भी अगर विशव-भर को शांति चाहिए तो उसे भारत की शरण में आना होगा |

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