Hindi, asked by ruchitabellana, 11 months ago

Short hindi poems by ram dhari singh dinkar

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Answered by aditya5216
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Explanation:

कहता हूँ¸ ओ मखमल–भोगियो।

श्रवण खोलो¸

रूक सुनो¸ विकल यह नाद

कहां से आता है।

है आग लगी या कहीं लुटेरे लूट रहे?

वह कौन दूर पर गांवों में चिल्लाता है?

जनता की छाती भिदें

और तुम नींद करो¸

अपने भर तो यह जुल्म नहीं होने दूँगा।

तुम बुरा कहो या भला¸

मुझे परवाह नहीं¸

पर दोपहरी में तुम्हें नहीं सोने दूँगा।।

हो कहां अग्निधर्मा

नवीन ऋषियो? जागो¸

कुछ नयी आग¸

नूतन ज्वाला की सृष्टि करो।

शीतल प्रमाद से ऊंघ रहे हैं जो¸ उनकी

मखमली सेज पर

चिनगारी की वृष्टि करो।

गीतों से फिर चट्टान तोड़ता हूं साथी¸

झुरमुटें काट आगे की राह बनाता हूँ।

है जहां–जहां तमतोम

सिमट कर छिपा हुआ¸

चुनचुन कर उन कुंजों में

आग लगाता हूँ।

 

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