short hindi self composed poem.
Answers
Answered by
3
कुछ पाने की ललक थी उसमें,
अपने जीत को पाने की सनक थी उसमें,
लिखना था उसे अपनी मेहनत की दास्ताँ
मुक्कमल करना था उसे अपना हर अरमान।
मंज़िलें रूठी, रूठ उम्मीदों का शहर,
कुछ इस तरह आयी क़यामत की क़हर,
हार की हुई दस्तक उसके आँगन में
जैसे मुरझाये हो ख्वाहिशों के फूल दामन में।
फलक तक रुकी न उसकी परवाज़,
जब ठान लिया उसने,
कि करेगा वो फिर आगाज़,
रुके न कदम उसके फिर उस सफ़र में,
जब चल पड़ा वो अपने सपनों के तलब में!
– Anu Sharma
Similar questions
Math,
1 month ago
Science,
2 months ago
History,
2 months ago
Psychology,
10 months ago
Math,
10 months ago