short information on raigad fort in Hindi
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महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड पहाड़ी पर बना है मशहूर रायगढ़ किला। जो समुद्र तल से 820 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ये किला भी छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनवाए गए शानदार किलों में से एक है जिसका इस्तेमाल अब जेल के तौर पर किया जाता है। शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक भी यहीं हुआ था। किले तक पहुंचने के लिए 1737 सीढ़ियां हैं लेकिन अब यहां तक पहुंचने के लिए रोपवे का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे सिर्फ 20 मिनट में किले को टॉप पर पहुंचा जा सकता है।
रायगढ़ किले का इतिहास
किले का पुराना नाम रायरी था। जिसे चंद्रराव मोरे ने बनवाया था। सन् 1656 में शिवाजी ने इस किले पर कब्जा कर लिया था और उसे दोबारा बनवाया। जिसके बाद इसका नाम रायगढ़ रखा गया। इसके बाद 1698 में औरंगजेब और जुल्फिकार खान ने रायगढ़ पर कब्जा कर इसे 'इस्लामगड' नाम दिया। बाद में यह किला ब्रिटिशों द्वारा लूटा गया और इसके बाद इसे नष्ट कर दिया गया।
रायगढ़ किले की बनावट
टूरिस्ट स्पॉट रायगढ़ किले को धार्मिक स्थल के तौर पर भी जाना जाता है क्योंकि यहां शिवाजी की समाधि है। मुख्य महल पूरा लकड़ी से बनाया गया था। किले को खासतौर से 6 चैंबर्स में बांटा गया है। हर एक चैंबर में निजी आराम कक्ष है। किले की सबसे ऊंची चोटी तकरीबन 600 फुट है। जहां तक पहुंचने का रास्ता बहुत ही बड़े दरवाजे से होकर जाता है। 1356 मीटर ऊंचा यह किला भारत के सबसे ऊंचे किलों में से एक है। किले के अंदर मार्केट भी है जहां से टूरिस्ट अपनी जरूरत का सामान खरीद सकते हैं। किले के किनारे से गंगा सागर नामक झील बहती है जो इसकी खूबसूरती को दोगुना करती है।
ट्रैकिंग के शौकिन लोगों को ये जगह बहुत पसंद आती है।
कब जाएं- नवंबर से मार्च का महीना यहां आने के लिए बेस्ट होता है। वैसे तो टूरिस्टों का तांता यहां सालभर ही देखने को मिलता है।
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग- मुंबई एयरपोर्ट पहुंचकर यहां तक पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग- वीर रेलवे स्टेशन यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो रायगढ़ से 30 किमी दूर है।
सड़क मार्ग- मुंबई-गोवा हाइवे NH-17 से महाद तक पहुंचना होता है। यहां से रायगढ़ 24 किमी दूर है। जहां से आपको आसानी से बस और कैब मिल जाएंगी।
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महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड पहाड़ी पर बना है मशहूर रायगढ़ किला। जो समुद्र तल से 820 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ये किला भी छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनवाए गए शानदार किलों में से एक है जिसका इस्तेमाल अब जेल के तौर पर किया जाता है। शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक भी यहीं हुआ था।
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