Hindi, asked by Sumnanajeeb007, 1 year ago

short paragraph on पराधीनता एक अभिशाप in hindi

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Answered by shailendrashaw77
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पराधीनता मनुष्य के लिए बहुत बड़ा अभिशाप है

पराधीनता चाहे व्यक्तिगत हो अथवा राष्ट्रीय , उससे मनुष्य के चरित्र का पतन हो जाता है और तरह - तरह के दोष उत्पन्न हो जाते हैं । इसलिए पराधीनता को कवियों ने एक ऐसी ' पिशाचिनी की उपमा दी है जो मनुष्य के ज्ञान , मान , प्राण सबका अपहरण कर लेती है । दूसरों को पराधीन बनाना सबसे बड़ा अन्याय है । इटली के गैरीबाल्डी ( जन्म 1807 ) संसार के उन महापुरुषों में से थे जिनको इस प्रकार की पराधीनता घोर अन्याय जान पड़ती थी और जिन्होंने अपने देश में ही नहीं जहाँ भी सामने अवसर आया अथवा कर्तव्य की पुकार सुनाई दी वहीँ उसके विरुद्ध प्राणपण से संघर्ष किया ।

जर्मनी ने जब फ्रांस पर हमला किया , तब फ़्रांस ने गैरीबाल्डी से सहायता की अपील की । यद्दपि फ़्रांस की सेना से लड़ते हुए उसे अनेक घाव लगे थे , पर उन सब बातों को भूलकर फ़्रांस की मदद को चल दिया । । उसने बहुत वीरता से युद्ध किया जिससे उसका नाम अमर हो गया ।

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Hope it helps.

Answered by gurprabmc
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Answer:

पराधीनता दुखों एवं कष्टों की जननी है। पराधीन व्यक्ति के पास कितनी ही सुख-सुविधाएँ क्यों न हों, उसे सुख की अनुभूति नहीं होती, ठीक उसी प्रकार जैसे-सोने के पिंजड़े में बंद पक्षी सोने की कटोरी में भोजन पाने पर भी किसी प्रकार के सुख का अनुभव नहीं करता। उसे भूखों मरना पसंद है, पर परतंत्र रहना नहीं। पराधीन व्यक्ति सदैव दूसरों का मुँह ताका करता है, उसके पास स्वयं निर्णय का अधिकार नहीं होता, उसकी सोच उसकी अपनी नहीं होती।

परिणामतः उसकी आत्मा का हनन होता जाता है, उसका आत्मसम्मान नष्ट हो जाता है, उसकी बुद्धि कुंठित होती चली जाती है, उसे विवेक का ज्ञान नहीं रहता। जड़वत हो वह दूसरों की आज्ञा पालन करते हुए ही अपना जीवन बिताया करता है। इस प्रकार पराधीन मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास रुक जाता है। भाव एवं विवेक शून्य हो उसे अपमानित जीवन बिताना पड़ता है। पराधीनता की लज्जा का कलंक सदैव उसके माथे पर लगा रहता है और सपने में भी उसे सुख की प्राप्ति नहीं होती। चाहे पिंजरे में बंद चिड़िया हो या खुंटे से बँधी गाय, सभी को स्वतंत्रता प्रिय होती है।

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