Short poem on animals in hindi
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जानवर / देवशंकर नवीन
मनुष्य जातिकें ठकब
हमरा लेल बड़ दुष्कर काज अछि
लाख तजबीज कएलो पर
सूक्ष्मतर सावधानी रखनहुसँ
हम शुद्ध सरिसो तेलक दाम द’ कए
नकली रेफसिड कीनि पबै छी
मिलावटक पाइसं कीनल गेल अन्न
सर्वथा अशुद्धे रक्त टा भरत हिनका धमनीमे
बफादारी आ ईमानदारीसँ तिक्ख पाप-
हिनका लए आओर किछु नहि अछि
हमहूँ एहेन उमेद हिनकासँ छोड़ि कए
आब सीख नेने छी ठकपनी
आदमी और जानवर / त्रिलोचन
गायों को ठिकाने पहुँचा कर
चरवाहा; उनकी देखरेख में लगा
नीम की सुखाई पत्तियों के धुँए से
मसे, मक्खियों और डाँसों से
उन्हें कुछ चैन दिया
सास्ना सहलाते हुए प्यार किया
प्यार की भाषा समझती हैं
गाएँ भी
जो कुछ उन्हें प्यार से खिलाते हैं
खाती हैं।
फिर इन गायों को दुहता है
दुहने वाला और बछडों के लिये भी
छोड़ता है
आदमी और जानवर एक दूसरे के हैं
एक दूसरे के लिये।
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