short poem on topic माॅ in Hindi
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अपने आंचल की छाओं में,
छिपा लेती है हर दुःख से वोह
एक दुआ दे दे तो
काम सारे पूरे हों…
छिपा लेती है हर दुःख से वोह
एक दुआ दे दे तो
काम सारे पूरे हों…
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