SHORT POEM ON TUM KAB JAOGE ATITHI. (15 - 20 LINES)
Answers
आओ सुनाये मित्रो तुम्हे
इक अपनी राम कहानी
ऐसा अतिथी आया घर में जिसने
हमें पिलाया पानी
प्रथम पुरुष में लिख रहे है
जो जो हम पे गुजरी थी
अन्य पुरुष न समझा पायेगा
कैसी हालत अपनी थी
अतिथि जब तुम आए थे
तब हम कितना मुस्काए थे
पहले तुम आए
हम मुस्काए
तुम लगने लगे हम सब को प्यारे
और रहने लगे तुम दिल में हमारे
फिर तुम आए
हाथो में मिठाई का डिब्बा उठाये
मुह कराया मीठा हमारा
तबादला हो गया था हमारे शहर में तुम्हारा
एक मित्र सच्चा आया हमारा अपने शहर में
भीग गयी पलकें और प्रेम से ओत प्रोत हुआ दिल हमारा तुम्हारे प्रेम में
दो हफ्ते बीते
तुम आए आँखों में भाव ले कुछ रीते रीते
जब चाए का प्याला तुम्हे हमने थमाया
चेहरादेख तुम्हारा हमारा दिल भर आया
पुछा तुमसे क्या हुआ क्यों उदास लग रहे है
? तुमने कहा क्या बताएं परेशानी में घिर गए हैं
- हमने कहा कैसी है परेशानी कहिये हमसे
-शायद कोई हल निकाल सके हम मिलजुल के
मकान नहीं ढूंढ पा रहे हैं हम मन माफिक
कहा आपने /p>
हंस पड़े ठाहाक लगाकर हम
यह कैसी है परेशानी यह कैसा है गम
रह तो रहे है आप घर में हमारे
आराम से ढूँढिये मकान
आप है हमको अति प्यारे
ओ अतिथी हमारे
पर उस दिन से जो शुरू हो गयी व्यथा हमारी
कैसे मार ली हमने अपने ही पाओ पर कुल्हाड़ी
आपकी पत्नी बिरहन हो गयी
आपके याद में बेगम आपकी बेदम हो गयी
बुलाना पड़ेगा उन्हें आपको अपने पास
मजबूर हुए आप
और हमसे लगा बैठे आस
कड़वा घुट पी कर हमने हामी भर दी
पहले आपकी बेगम
फिर बच्चे
फिर तोते की पिटारी भी
आपके भाई ने हमारे पास रवाना कर दी
आपकी बेगम को आपसे कितना है प्यार
हमारी ही रसोई से हमारी ही पत्नी को कर दिया उन्होंने तड़ी पार
अब खाना तो आपकी पसंद का बनता है
राशन और इंधन लेकिन हमारे खाते से चलता है
बच्चे भी आपके हर फन में माहिर है सर्कार
बेटा हमारा एहसासे कमतरी का हो बैठा है शिकार
अब बच गए है हम
ढूढ़ देते है मकान तुम्हारे लिए
वरना तुमको तो घर मिल गया है
हमें ही न बहार निकल दो अतिथी समझ के
आज हम है खुश बहुत
मकान एक तुम्हारी पसंद का मिल गया है हमें
पेशगी भी दे आये है
कही देर न हो जाये
अपने ही घर में रहने का मौका कही हम फिर न चूक जाये
कल मागवा देंगे एक भाड़े का वाहन
सामान भी तुम्हारा सहेज समेत देरहे है हमही
हे अतिथि गण
अब इतना बतला दो
वो कल का शुभ महूरत
जब तुम अपने नए घर में गृह
Answer:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1.
अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?
उत्तर-
अतिथि चार दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है।
प्रश्न 2.
कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही हैं?
उत्तर-
कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही हैं। मानों वे भी अतिथि को बता रही हों कि तुम्हें यहाँ आए। दो-तीन दिन बीत चुके हैं।
प्रश्न 3.
पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?
उत्तर-
पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत प्रसन्नतापूर्वक किया। पति ने स्नेह से भीगी मुसकान से उसे गले लगाया तथा पत्नी ने सादर नमस्ते की।
प्रश्न 4.
दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?
उत्तर-
दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गई।
प्रश्न 5.
तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?
उत्तर-
अतिथि ने तीसरे दिन कहा कि वह अपने कपड़े धोबी को देना चाहता है।
प्रश्न 6.
सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?
उत्तर-
सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लेखक उच्च मध्यमवर्गीय डिनर से खिचड़ी पर आ गया। यदि इसके बाद भी अतिथि नहीं गया तो उसे उपवास तक जाना पड़ सकता है।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?
उत्तर-
लेखक अपने अतिथि को भावभीनी विदाई देना चाहता था। वह चाहता था कि अतिथि को छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन तक जाया जाए। उसे बार-बार रुकने का आग्रह किया जाए, किंतु वह न रुके।
प्रश्न 2.
पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए-
अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।
अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।
लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़े।
मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।
एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।
उत्तर-
बिना सूचना दिए अतिथि को आया देख लेखक परेशान हो गया। वह सोचने लगा कि अतिथि की आवभगत में उसे अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा जो उसकी जेब के लिए भारी पड़ने वाला है।
अतिथि देवता होता है पर अपना देवत्व बनाए रखकरे। यदि अतिथि अगले दिन वापस नहीं जाता है और मेजबान के लिए पीड़ा का कारण बनने लगता है तो मनुष्य न रहकर राक्षस नज़र आने लगता है। देवता कभी किसी के दुख का कारण नहीं बनते हैं।
जब अतिथि आकर समय से नहीं लौटते हैं तो मेजबान के परिवार में अशांति बढ़ने लगती है। उस परिवार का चैन खो जाता है। पारिवारिक समरसता कम होती जाती है और अतिथि का ठहरना बुरा लगने लगता है।
पहले दिन के बाद से ही लेखक को अतिथि का रुकना भारी पड़ रहा था। दूसरा तीसरा दिन तो जैसे तैसे बीता पर अगले दिन वह सोचने लगा कि यदि अतिथि पाँचवें दिन रुका तो उसे गेट आउट कहना पड़ेगा।
देवता कुछ ही समय ठहरते हैं और दर्शन देकर चले जाते हैं। अतिथि कुछ ही समय के लिए देवता होते हैं, ज्यादा दिन ठहरने पर मनुष्य के लिए वह भारी पड़ने लगता है तब किसी भी तरह अतिथि को जाना ही पड़ता है।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
तीसरे दिन मेहमान का यह कहना कि वह धोबी से कपड़े धुलवाना चाहता है, एक अप्रत्याशित आघात था। यह फरमाइश एक ऐसी चोट के समान थी जिसकी लेखक ने आशा नहीं की थी। इस चोट का लेखक पर यह प्रभाव पड़ा कि वह अतिथि को राक्षस की तरह मानने लगा। उसके मन में अतिथि के प्रति सम्मान की बजाय बोरियत, बोझिलता और तिरस्कार की भावना आने लगी। वह चाहने लगा कि यह अतिथि इसी समय उसका घर छोड़कर चला जाए।
प्रश्न 2.
‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुजरना’-इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।
उत्तर-
संबंधों का संक्रमण दौर से गुजरने का आशय है-संबंधों में बदलाव आना। इस अवस्था में कोई वस्तु अपना मूल स्वरूप खो बैठती है और कोई दूसरा रूप ही अख्तियार कर लेती है। लेखक के घर आया अतिथि जब तीन दिन से अधिक समय रुक गया तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई। लेखक ने उससे अनेकानेक विषयों पर बातें करके विषय का ही अभाव बना लिया था। इससे चुप्पी की स्थिति बन गई, जो बोरियत लगने लगी। इस प्रकार उत्साहजनक संबंध बदलकर अब बोरियत में बदलने लगे थे।
प्रश्न 3.
जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?
उत्तर-
जब अतिथि चार दिन के बाद भी घर से नहीं टला तो लेखक़ के व्यवहार में निम्नलिखित परिवर्तन आए
उसने अतिथि के साथ मुसकराकर बात करना छोड़ दिया। मुसकान फीकी हो गई। बातचीत भी बंद हो गई।
शानदार भोजन की बजाय खिचड़ी बनवाना शुरू कर दी।
वह अतिथि को ‘गेट आउट’ तक कहने को तैयार हो गया। उसके मन में प्रेमपूर्ण भावनाओं की जगह गालियाँ आने लगीं।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्याय लिखिए-
चाँद
ज़िक्र
आघात
ऊष्मा
अंतरंग
उत्तर-
चाँद – शशि, राकेश
जिक्र – वर्णन, कथन
आघात – चोट, प्रहार ऊष्मा
ऊष्मा – ताप, गरमाहट
अंतरंग – घनिष्ठ, नजदीकी
प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए-
हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य)
किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य)
सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत् काल)
इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची)
कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक)
उत्तर-
हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने नहीं जाएँगे।
किसी लॉण्ड्री पर दे देने पर क्या जल्दी धुल जाएँगे।
सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जाएगी।
इनके कपड़े कहाँ देने हैं?
कब तक नहीं टिकेंगे ये?