Hindi, asked by kurajagadeeshwar, 1 month ago

short story in Hindi​

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Answered by aryangupta876566
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कहानी

बोहोत समय पहले एक राजू नाम का एक नौकर एक सेठ के दुकान में काम किया करता था। वह बहुत ईमानदार था लेकिन सेठ बहुत लालची था। राजू बहुत ईमानदारी से काम किया करता था। सेठ सोनार था। सेठ की पत्नी हमेशा राजू को बोलती रहती थी की वो हमेशा अच्छे से काम नही करता है जबकि राजू दिल और जान लगा के काम करता था। होली आने वाली थी। राजू की एक बेटी थी जो 5 साल की थी। राजू की बेटी राजू से होली की पिचकारी मांग रही थी। राजू बोलता था की "कल ले आऊंगा।" राजू सेठ से जाके बोला की इस महीने की आमदनी उसे अभी मिल जाए तो अच्छा होगा क्योंकि होली आने वाली है। सेठ बोला की उसने पिछली महीने भी पत्नी की इलाज के लिए पहले ही आमदनी ले ली अब इस बार नही। राजू बोला की उसकी बेटी को पिचकारी चाहिए। सेठ बोला की अगर उसे आमदनी जल्दी चाहिए तो इस महीने का काम भी जल्दी खत्म कर ले। राजू ने काम में पूरी जान जोख दी। लेकिन सेठ ने उसे बस 100 रुपए दिए। राजू बोला की बस 100 रुपए क्यों? सेठ बोला तुमने काम भी इतना ही किया है। राजू थके हरे बस 50 रुपए की पिचकारी खरीद के 50 की मिठाई खरीदी। जब वो घर आया राजू की बेटी बोली की वो उसके लिए पिचकारी लाया की नही? राजू बोला की वो उसे माफ कर दे क्योंकि वो बस 50 रुपए की पिचकारी ही खरीद पाया। राजू की बेटी बोली की वो पिचकारी बहुत सुंदर है। होली के दिन राजू की बेटी होली खेलने के बीच के आई और बोली की इस पिचकारी में से बस एक ही रंग निकल रहा है। राजू ने पिचकारी चला के देखी तो उसमे से सोना निकल रहा था राजू ने 2 बाल्टी सोना जा के बेच आया जिससे उसके पास खूब पैसा हो गया। सेठ उसके घर आया और उससे पिचकारी छीन के लेगया। लेकिन अब पिचकारी में से सिर्फ गोबर ही निकल रहा था।

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