History, asked by Heenavyas, 1 year ago

short story of hadi rani in hindi​

Answers

Answered by SudhanshPandey
2

Explanation:

हाड़ी रानी सलुम्बर के सरदार राव रतन सिंह चूङावत की पत्नी थी।

शादी को महज एक सप्ताह हुआ था। न हाथों की मेहंदी छूटी थी और न ही पैरों का आलता। सुबह का समय था। हाड़ा सरदार गहरी नींद में थे। रानी सज धजकर राजा को जगाने आई। उनकी आखों में नींद की खुमारी साफ झलक रही थी। रानी ने हंसी ठिठोली से उन्हें जगाना चाहा। इस बीच दरबान आकर वहां खड़ा हो गया। राजा का ध्यान न जाने पर रानी ने कहा, महाराणा का दूत काफी देर से खड़ा है। वह ठाकुर से तुरंत मिलना चाहते हैं। आपके लिए कोई आवश्यक पत्र लाया है उसे अभी देना जरूरी है।[1] असमय में दूत के आगमन का समाचार। ठाकुर हक्का बक्का रह गया। वे सोचने लगे कि अवश्य कोई विशेष बात होगी। राणा को पता है कि वह अभी ही ब्याह कर के लौटे हैं। आपात की घड़ी ही हो सकती है। उसने हाड़ी रानी को अपने कक्ष में जाने को कहा, दूत का तुरंत लाकर बिठाओ। मैं नित्यकर्म से शीघ्र ही निपटकर आता हूं, हाड़ा सरदार ने दरबान से कहा। सरदार जल्दी जल्दी में निवृत्त होकर बाहर आया। सहसा बैठक में बैठे राणा के दूत पर उसकी निगाह जा पड़ी। औपचारिकता के बाद ठाकुर ने दूत से कहा, अरे शार्दूल तू। इतनी सुबह कैसे? क्या भाभी ने घर से खदेड़ दिया है? सारा मजा फिर किरकिरा कर दिया। सरदार ने फिर दूत से कहा, तेरी नई भाभी अवश्य तुम पर नाराज होकर अंदर गई होगी। नई नई है न। इसलिए बेचारी कुछ नहीं बोली। ऐसी क्या आफत आ पड़ी थी। दो दिन तो चैन की बंसी बजा लेने देते। मियां बीवी के बीच में क्यों कबाब में हड्डी बनकर आ बैठे। अच्छा बोलो राणा ने मुझे क्यों याद किया है? वह ठहाका मारकर हंस पड़ा। दोनों में गहरी दोस्ती थी। सामान्य दिन अगर होते तो वह भी हंसी में जवाब देता। शार्दूल खुद भी बड़ा हंसोड़ था। वह हंसी मजाक के बिना एक क्षण को भी नहीं रह सकता था, लेकिन वह बड़ा गंभीर था। दोस्त हंसी छोड़ो। सचमुच बड़ी संकट की घड़ी आ गई है। मुझे भी तुरंत वापस लौटना है। यह कहकर सहसा वह चुप हो गया। अपने इस मित्र के विवाह में बाराती बनकर गया था। उसके चेहरे पर छाई गंभीरता की रेखाओं को देखकर हाड़ा सरदार का मन आशंकित हो उठा। सचमुच कुछ अनहोनी तो नहीं हो गयीं है। दूत संकोच रहा था कि इस समय राणा की चिट्ठी वह मित्र को दे या नहीं। हाड़ा सरदार को तुरंत युद्ध के लिए प्रस्थान करने का निर्देश लेकर वह लाया था। उसे मित्र के शब्द स्मरण हो रहे थे। हाड़ा के पैरों के नाखूनों में लगे महावर की लाली के निशान अभी भी वैसे के वैसे ही उभरे हुए थे। नव विवाहित हाड़ी रानी के हाथों की मेंहदी भी तो अभी सूखी न होगी। पति पत्नी ने एक दूसरे को ठीक से देखा पहचाना नहीं होगा। कितना दुखदायी होगा उनका बिछोह? यह स्मरण करते ही वह सिहर उठा। पता नहीं युद्ध में क्या हो? वैसे तो राजपूत मृत्यु को खिलौना ही समझता हैं। अंत में जी कड़ा करके उसने हाड़ा सरदार के हाथों में राणा राजसिंह का पत्र थमा दिया। राणा का उसके लिए संदेश था।

Similar questions