Hindi, asked by harsh3430, 1 year ago

short summary for 'nethaaji ka chashma'​

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Answered by asokworld
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नेता जी का चश्मा, कहानी स्वयं प्रकाश जी द्वारा लिखी गयी ,एक प्रसिद्ध कहानी है .प्रस्तुत कहानी में ,हालदार साहब अपनी कंपनी के काम से हर १५ वें दिन के काम से उस क़स्बे से गुजरते थे . क़स्बा बहुत बड़ा नहीं था . उस क़स्बे की नगरपालिका ने शहर के मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेता जी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी . यह प्रतिमा क़स्बे के ही हाई स्कूल के एक ड्राइंग मास्टर मास्टर मोतीलाल जी द्वारा द्वारा बनायीं गयी थी . मूर्ति सुन्दर थी . केवल एक चीज़ की कमी थी .नेता जी की आँखों पर चश्मा नहीं था . यानी चश्मा तो था किन्तु चश्मा संगमरमर का नहीं था . एक सामान्य के चश्मे का चौड़ा काल फ्रेम को पहना दिया था . हालदार साहब को यह तरीका पसंद आया . दूसरी बार जब हालदार साहब क़स्बे से गुजरे तो मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया . ध्यान से देखा तो पाया की चश्मा दूसरा था .तीसरी बार फिर नया चश्मा था . हालदार साहब हर बार क़स्बे के चौराहे पर रुक पाने खाते थे और उस मूर्ति को देखते थे ,फिर चले जाते थे .एक बार उन्होंने उन्होंने पान वाले से बार बार चश्मे बदलने का कारण पूछ लिया . पानवाले ने बताया की एक बूढ़ा लंगड़ा चश्मे वाला नेता जी को चश्मा पहना जाता है . उस चश्मे वाले को लोग कैप्टन कहकर पुकारते थे . इसी पार दो साल तक हालदार साहब उस क़स्बे से गुजरते रहे और यूँ ही नेता जी का चश्मा बदलता रहता था .अगली बार नेता जी का चश्मा नहीं था .पूछने पर पता चला कि कैप्टन मर गया .फिर अगली बार हालदार साहब ने उस क़स्बे में रुकर पान खाने की इच्छा को ताल दिया फिर भी उनकी नज़र नेताजी पर पड़ी तो देखा कि एक सरकंडे से बना चश्मा उनके चेहरे पर था . यह देखकर हालदार साहब की आखें भर आई .

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