Hindi, asked by Himanshur4981, 10 months ago

Short summary of malbe ka malik of rakesh roshan class 12 ​

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Answered by jayathakur3939
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'मलबे का मालिक

मोहन राकेश द्वारा रचित कहानी 'मलबे का मालिक' ने व्यक्तिगत स्वार्थ की मालकीयत किस कदर बसे-बसाये घर को सामाजिक और राष्ट्रिय परिपेक्ष्य में मलबे में तबदील कर  देता है, उसे बखूबी बताया  है।

देश विभाजन की त्रासदी:- व्यक्तिगत स्वार्थ का  दायरा जब राष्ट्र स्तर तक बढ़ जाता है तो देश विभाजन की त्रासदी जैसा मलबा उद्घाटित होता है । हाँ ,अपनी इस कुरूपता को मजहबी कपड़ा पहना देना बड़े हस्तियों के लिए आम बात हो गयी है ।  विभाजन की त्रासदी झेल रहा देश दंगों की ज्वाला से सुलग रहा था ।

दंगों  के आड़ में स्वार्थ साधना :-  जहां देश मजहब के नाम से मलबे में तबदील हो रहा था ,वहीं रक्खा पहलवान जैसे निकम्मे लोग भी खुद को मजहब का आला मानते हुये अपने निर्लज्ज स्वार्थ के लिए  चिराग जैसे मेहनतपरस्त पारिवारिक लोगों का निर्मम अंत कर देते हैं ।

इस कहानी 'मलबे का मालिक' के अंतर्गत सामाजिक और राष्ट्रीय परिपेेक्ष्य की आड़ में व्यक्तिगत स्वार्थ की वृत्ति किस प्रकार बसे हुए घर को तहस- नहस कर मलबे में परिवर्तित कर देती है, यह बताया गया है।

           

Answered by Priatouri
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मलबे का मालिक |

Explanation:

मलबे का मालिक मोहन राकेश द्वारा रचित एक कहानी है। इस कहानी में मोहन राकेश ने व्यक्तिगत स्वार्थ की मिल्कियत के बारे में बताया है कि किस प्रकार व है बसे बसाई घर को सामाजिक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में मलबे में बदल देता है।

लेखक ने मलबे का मालिक कहानी में देश के विभाजन की त्रासदी के बारे में बात की है। लेखक बताते हैं कि जब व्यक्तिगत स्वार्थ का दायरा राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच जाता है तो उस देश के विभाजन की त्रासदी का मलबा उद्घाटित होता है।

लेखक बताते हैं कि जहां देश के नाम से मलबे में तब्दील हो रहे हैं वहीं कुछ लोग जैसे रखा पहलवान खुद को मजहब का आल मानने लगे और अपने निर्लज्ज स्वार्थ के लिए पारिवारिक लोगों का अंत करने लगे हैं।

और अधिक जानें:

मलबे का मालिक कहानी की मूल संवेदना

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