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लेखक: दीप त्रिवेदी
मूल्य: रु. 295 (पेपर बैक)
आत्मन इनोवेशन प्रा लि
सातवीं मंज़िल, तनिष्क शो रूम के ऊपर, न्यू लिंक रोड, अंधेरी पश्चिम, मुंबई-400 053
दीप त्रिवेदी, कुशल वक्ता हैं और स्पिरिचुअल साइकोडायनामिक्स के आधार पर जीवन और सफलता का मनोवैज्ञानिक आकलन करते हैं. इस किताब में उन्होंने मन की व्याख्या बड़े ही दिलचस्प अंदाज़ में की है. मन पाठक से बात करते हुए अपने अस्तित्व का सही परिचय देता है और पाठक को बताता है कि उसकी सफलता और असफलता दोनों के ही पीछे वह किस तरह की भूमिका निभाता है और ये भी कि आप कैसे उसे अपने बस में करके सफलता पा सकते हैं. वह मन और बुद्धि के अंतर को अच्छी तरह समझता है. वह बताता है कि ऊर्जा के केवल दो ही सच्चे स्वरूप हैं, जो बचपन से ही सभी में विद्यमान हैं-प्रेम और क्रोध. लेखक ने क्रोध को अभिव्यक्त करने के जितने कारण गिनाए हैं, उन पर सहज ही विश्वास होने लगता है. मन में क्रोध को दबाने के दुष्परिणामों का ज़िक्र करते हुए, जब लेखक ये कहते हैं-अंग्रेज़ों ने आम प्रजा पर ज़ुल्म ढाए थे, स्वाभाविक रूप से आम भारतीयों के मन में अंग्रेज़ों के प्रति क्रोध था. लेकिन भारत ने आज़ादी गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांतों के आधार पर ली. पर इसका साइकोलॉजिकल परिणाम था हिंदू-मुस्लिम दंगे. क्योंकि दबे हुए क्रोध को निकलने की राह चाहिए थी. तो आश्चर्य होता है, पर अविश्वास नहीं होता.
यदि घर में छोटे बच्चे हैं तो उन्हें समझने और उनकी रुचि के अनुसार उन्हें सही परवरिश देने में भी यह किताब मददगार साबित होगी. इसमें जीवन से जुड़ी कहानियों और उद्धरणों की बहुतायत है, जो पाठक को बांधे रखती है. लेखक ढोंग और आडंबरों की ख़िलाफ़त बड़े मनोवैज्ञानिक ढंग से करते हैं. किताब अपने हर चैप्टर में आपको आप से जुड़ी समस्याएं बताती है और व्यावहारिक समाधान भी सुझाती है.
इस किताब को मैंने तक़रीबन एक महीने के समय में ख़त्म किया. ऑफ़िस के लिए आते-जाते समय ट्रेन में पढ़ते हुए. यह बताने की ख़ास वजह है-इस किताब का ले-आउट इतना सशक्त है कि हर बार किसी न किसी ने टोककर किताब और लेखक का नाम जानने की इच्छा जताई. अच्छी गुणवत्ता के पन्नों पर भूरे रंग के अक्षरों में छापी गई इस किताब में आपके काम की बातों को सूक्तियों के रूप में बड़े अक्षरों में कोट की तरह दिया गया है. यदि आप उन लोगों में से हैं, जो अपनी ख़ामियों में सुधार करके आगे बढ़ना चाहते हैं तो इस सेल्फ़ हेल्प किताब को एक बार पढ़ना ज़रूर बनता है.
मूल्य: रु. 295 (पेपर बैक)
आत्मन इनोवेशन प्रा लि
सातवीं मंज़िल, तनिष्क शो रूम के ऊपर, न्यू लिंक रोड, अंधेरी पश्चिम, मुंबई-400 053
दीप त्रिवेदी, कुशल वक्ता हैं और स्पिरिचुअल साइकोडायनामिक्स के आधार पर जीवन और सफलता का मनोवैज्ञानिक आकलन करते हैं. इस किताब में उन्होंने मन की व्याख्या बड़े ही दिलचस्प अंदाज़ में की है. मन पाठक से बात करते हुए अपने अस्तित्व का सही परिचय देता है और पाठक को बताता है कि उसकी सफलता और असफलता दोनों के ही पीछे वह किस तरह की भूमिका निभाता है और ये भी कि आप कैसे उसे अपने बस में करके सफलता पा सकते हैं. वह मन और बुद्धि के अंतर को अच्छी तरह समझता है. वह बताता है कि ऊर्जा के केवल दो ही सच्चे स्वरूप हैं, जो बचपन से ही सभी में विद्यमान हैं-प्रेम और क्रोध. लेखक ने क्रोध को अभिव्यक्त करने के जितने कारण गिनाए हैं, उन पर सहज ही विश्वास होने लगता है. मन में क्रोध को दबाने के दुष्परिणामों का ज़िक्र करते हुए, जब लेखक ये कहते हैं-अंग्रेज़ों ने आम प्रजा पर ज़ुल्म ढाए थे, स्वाभाविक रूप से आम भारतीयों के मन में अंग्रेज़ों के प्रति क्रोध था. लेकिन भारत ने आज़ादी गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांतों के आधार पर ली. पर इसका साइकोलॉजिकल परिणाम था हिंदू-मुस्लिम दंगे. क्योंकि दबे हुए क्रोध को निकलने की राह चाहिए थी. तो आश्चर्य होता है, पर अविश्वास नहीं होता.
यदि घर में छोटे बच्चे हैं तो उन्हें समझने और उनकी रुचि के अनुसार उन्हें सही परवरिश देने में भी यह किताब मददगार साबित होगी. इसमें जीवन से जुड़ी कहानियों और उद्धरणों की बहुतायत है, जो पाठक को बांधे रखती है. लेखक ढोंग और आडंबरों की ख़िलाफ़त बड़े मनोवैज्ञानिक ढंग से करते हैं. किताब अपने हर चैप्टर में आपको आप से जुड़ी समस्याएं बताती है और व्यावहारिक समाधान भी सुझाती है.
इस किताब को मैंने तक़रीबन एक महीने के समय में ख़त्म किया. ऑफ़िस के लिए आते-जाते समय ट्रेन में पढ़ते हुए. यह बताने की ख़ास वजह है-इस किताब का ले-आउट इतना सशक्त है कि हर बार किसी न किसी ने टोककर किताब और लेखक का नाम जानने की इच्छा जताई. अच्छी गुणवत्ता के पन्नों पर भूरे रंग के अक्षरों में छापी गई इस किताब में आपके काम की बातों को सूक्तियों के रूप में बड़े अक्षरों में कोट की तरह दिया गया है. यदि आप उन लोगों में से हैं, जो अपनी ख़ामियों में सुधार करके आगे बढ़ना चाहते हैं तो इस सेल्फ़ हेल्प किताब को एक बार पढ़ना ज़रूर बनता है.
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