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মানুষের জ্ঞান-বিজ্ঞান, শিল্প ও সাহিত্য সাধনার মৌন সাক্ষী হয়ে দাড়িয়ে আছে বিশ্বের অজস্র বই। বইকে সঙ্গী করতে পারলে মানুষের হৃদয়েও মনের অনেক অভাব ঘুচে যায়। স্বশিক্ষা অর্জনে চাই বই পড়া।কারন একমাত্র বই পড়ার মাধ্যমে হৃদয় মনের ঘুমন্ত আত্মা জেগে উঠে। বিকশিত হয় মানুষের বিবেক এবং মনুষ্যত্ব। আধুনিক জগতে সমগ্র বিশ্বকে উপলব্ধি করতে হলে সভ্য মানুষের বইয়ের অবারিত সঙ্গ না হলে চলে না। আবার বইয়ের সূত্র ধরে মানুষ অগ্রসর হয়ে চলে সভ্যতা ও সংস্কৃতির বিবর্তনের পথে। পৃথিবীর ইতিহাস-ঐতিহ্যের অন্যতম অবলম্বন বই। বইয়ের মাধ্যমে আমরা বিশ্বের বিভিন্ন দেশ, জাতি, ভাষা সম্বন্ধে জ্ঞান লাভ করি। বই মানুষকে পৃথিবীতে হাজার বছর পথচলার অনুভূতি দিতে পারে। আবার বইয়ের মধ্য দিয়েই কোন কবি, সাহিত্যিক বা লেখক মৃত্যুর পরও বেঁচে থাকতে পারেন হাজার বছর। বই মানুষের হৃদয়ের দ্বার খুলে দেয়, চিন্তার জগতকে প্রসারিত করে। আমাদের মননশক্তি ও হৃদয়বৃত্তিকে সম্পূর্ণভাবে জাগ্রত করতে পারি বই পাঠের মাধ্যমেই। তাই বই পড়ার অভ্যাস গঠন করা অবশ্যই উচিত। বইয়ে জ্ঞান-বিজ্ঞান, শিল্প-সাহিত্যের স্রোতধারা একত্রিত হয়। সেই ধারার সাথে মিললেই মানুষের আত্মপ্রসার ঘটে। তাই
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दुनिया की अनगिनत किताबें मानव ज्ञान, विज्ञान, कला और साहित्य की खोज के मूक गवाह के रूप में खड़ी हैं। यदि आप पुस्तक को अपना साथी बना सकते हैं, तो आपके दिल में कई कमियां गायब हो जाएंगी। मैं स्व-शिक्षा प्राप्त करने के लिए किताबें पढ़ना चाहता हूं। क्योंकि किताबें पढ़ने से ही दिल और दिमाग की नींद जागती है। मानवीय विवेक और मानवता का विकास होता है। आधुनिक दुनिया में पूरी दुनिया को समझने के लिए, एक सभ्य लोगों की अप्रतिबंधित कंपनी के बिना नहीं जा सकता। फिर, लोग पुस्तक के सूत्र के माध्यम से सभ्यता और संस्कृति के विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं। दुनिया के इतिहास और परंपरा में सबसे महत्वपूर्ण पुस्तकों में से एक है। पुस्तकों के माध्यम से हम दुनिया के विभिन्न देशों, नस्लों, भाषाओं के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं। किताबें लोगों को हजारों साल तक धरती पर चलने का एहसास दिला सकती हैं। फिर, पुस्तक के माध्यम से, कोई भी कवि, लेखक या लेखक मृत्यु के बाद भी हजारों वर्षों तक जीवित रह सकता है। पुस्तक मानव हृदय का द्वार खोलती है, विचार की दुनिया का विस्तार करती है। हम किताबें पढ़ने के माध्यम से अपने मन और दिल को पूरी तरह से जागृत कर सकते हैं। इसलिए किताबें पढ़ने की आदत बनानी होगी। पुस्तक विज्ञान, कला और साहित्य की धाराओं को जोड़ती है। मनुष्य का आत्म-विस्तार तभी होता है जब वह उस प्रवृत्ति के अनुरूप होता है। इसलिए
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