shram Aur safalta Ka sambandh spasht kijiye
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श्रम ही जीवन को गति प्रदान करता है | यदि हम श्रम की उपेक्षा करेंगे तो जीवन की गति बाधित हो जाएगी | यदि श्रम नहीं करेंगे तो हम अकर्मण्य हो जाएंगे | अकर्मण्यता जड़ता की द्योतक है जो जीवन में निराशा को जन्म देती है |
जब हम श्रम करते है तब ही अपने लक्ष्य को हासिल कर पाते है | परिश्रमी व्यक्ति ही सभी प्रकार की कठिनाइयों को झेलने मे सफल होता है | इसके द्वारा उसमें परिस्थितियों से जूझने का सामर्थ्य उत्पन्न होता है जो उसे उत्साह और आशा तथा उमंग और जीवन के जोश से भरकर रखता है | ऐसे कर्मवीर व्यक्ति अपनी कर्मठता से सफलता को अक्सर प्राप्त कर ही लेते है | कवि हरिऔध ने ऐसे परिश्रमी व्यक्तियों के लिए कहा है --
" देखकर बाधा विविध बहु विघ्न घबराते नहीं |
रह भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहीं ||"