shrey hindi poem long ans type Q ans
Answers
Answer:
From this, can you guess why we unfurl the clothes while putting them to dry, rather than just drape them over the cloth line? ... Wet clothes dry faster when we unfurl (Spread) them because the rate of evaporation depends on the surface area. If the surface area will be more, rate of evaporation will be higher or more.
Answer:क. कविता में पेड़ को ‘लौह स्तंभ क्यों कहा गया?
उतर - कविता में पेड़ को लौह स्तंभ इसलिए कहा गया है क्योंकि इस पर आँधी-पानी का कोई असर नहीं होता और वह आपनी जगह पर अडिग खड़ा रहता है।
ख. पेड़ क्यों काँप उठा ?
उत्तर - पेड़ काँप उठा, क्योंकि उसने अनहोनी को भाँप लिया था। वह स्वयं को दिए जाने वाले झूठे श्रेय से घबरा गया। वह किसी और क्या श्रेय नहीं लेना चाहता।
ग. ‘पत्तियाँ चुप न रह सकीं- पत्तियों ने चुप रहकर क्या किया?
उत्तर - पत्तियाँ चुप न रह सकीं और वे आँधी आने पर सर्र-सर्र करने लगीं थीं, क्योंकि उन्हें पता था कि वे कई बार सूखकर गिर चुकी हैं और पेड़ ठूँठ होकर उजड़ चुका है।
घ. किसी ने पेड़ से क्या कहा? संक्षेप में बताइए ।
उत्तर- किसी ने पेड़ से कहा था कि तुम बहुत बड़े और मज़बूत हो। आँधी-पानी में वर्षों से सीधे खड़े हो। ऋतुओं का बदलना, बिजली का गिरना आदि सब सहते हुए भी तुम लौह-स्तंभ की तरह अड़े हो।
ङ पेड़ ने किसे श्रेय दिया और क्यों ?
उत्तर- पेड़ ने धरती पर मज़बूती से खड़े रहने का श्रेय अपने पैरों तले की मिट्टी को दिया, क्योंकि उस मिट्टी ने ही पेड़ की जड़ों को अपनी गोद में सँभालकर रखा। मिट्टी द्वारा जड़ों को सँभालकर रखने के कारण ही पेड़ ज़मीन पर मज़बूती के साथ खड़ा रह सका और उसने आँधी-पानी, बदलते हुए मौसमों का डटकर सामना किया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न -
क. कैसे पता चलता है कि पेड़ अपनी जगह पर अड़ा हुआ है?
उत्तर पेड़ कई वर्षों से एक ही जगह पर खड़ा है। आँधी हो या पानी, ऋतुएँ बदलें या बजली गिरे, इन सभी को सहता हुआ पेड़ लौह-स्तंभ की तरह अपनी जगह पर अड़ा हुआ है। पेड़ की स्थिति में किसी भी तरह का कोई परिवर्तन नहीं आने से पता चलता है कि पेड़ अपनी जगह पर अड़ा हुआ है।
ख. ‘विनम्रता की हरियाली को ओढ़े’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर - ‘विनम्रता की हरियाली को ओढ़े’ से कवि का तात्पर्य यह है कि किसी भी मौसम में उसकी हर मार सहते हुए, आँधी-पानी को झेलते हुए भी पेड़ कोई शिकायत नहीं करता। वह सभी प्रकार की विपरीत परिस्थितियाँ सहन करते हुए भी यथासंभव जो कुछ सभी को दे सकता है और अपनी हरियाली को बनाए रखता है। यह उसकी विनम्रता का ही परिचायक होता है।
ग. अनहोनी को भाँप उठा’ – यहाँ कवि किस अनहोनी की बात कर रहा है?
उत्तर - अनहोनी को भाँप उठा’ के माध्यम से कवि उस अनहोनी की बात कर रहा है, जिसमें पेड़ के अड़े या खड़े रहने का श्रेय पेड़ को दिया जा रहा है, लेकिन पेड़ यह मालूम है कि यह श्रेय मिट्टी का है, जिसने उसकी जड़ों को बाँधकर, सँभलकर रखा है। इसी मिट्टी के कारण पेड़ विपरीत परिस्थितियों में भी टिका रहा है, जो प्रशंसा मिट्टी को मिलनी चाहिए, पेड़ स्वयं नहीं लेना चाहता है।
घ. पेड़ ने कौन-सा झूठा श्रेय नहीं लिया?
उत्तर निरंतर अपनी जगह टिके रहने, अनेक विपरीत स्थितियों में भी अपने स्थान पर अड़े रहने का श्रेय पेड़ ने स्वयं नहीं लिया क्योंकि उसे यह श्रेय लेना झूठा लगाता है। पेड़ को पता है कि इस प्रशंसा का वास्तविक श्रेय मिट्टी को मिलना चाहिए। वह मिट्टी ही है, जिसने पेड़ की जड़ों को बाँधकर, सँभालकर बड़े ही जतन से रखा , जिसके कारण पेड़ अपनी जगह पर खड़ा रहा, अड़ा रहा, टिका रहा।
ङ. यदि पेड़ दिया गया श्रेय स्वयं लेता, तो आप पेड़ के बारे में क्या सोचते?
उत्तर - यदि पेड़ को दिया गया श्रेय स्वयं ले लेता तो मैं पेड़ को अच्छा नहीं मानता। वास्तव में, पेड़ के खड़े रहने में मुख्य भूमिका तो मिट्टी की रही है। ऐसी स्थिति में मैं यही सोचता कि पेड़ बड़ा ही स्वार्थी और अहंकारी प्रवृत्ति का है। सच जानते हुए भी वह झूठी प्रशंसा ले रहा है, वह झूठा श्रेय ले रहा है। तो मैं उसे अच्छी दृष्टि से नहीं देखता।
Explanation: