Hindi, asked by angreja066, 6 months ago

shri guru gobind singh eassy in hindi for 7th class​

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Answered by Cutegirl609
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श्री गुरु गोविंद सिंह जी सिक्कों के दसवें गुरु थे। वे एक महान शूरवीर और तेजस्वी नेता थे। उन्होंने मुगलों के अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई थी और 'सत श्री अकाल' का नारा दिया था। उन्होंने कायरों को वीर और वीर्स को सिंह बना दिया था। काल का अवतार बनकर उन्होंने शत्रुओं के छक्के छुड़ा दिए थे। इस तरह उन्होंने धर्म, जाति और राष्ट्र को नया जीवन दिया था।

श्री गुरु गोविंद सिंह जी सिक्कों के दसवें गुरु थे। वे एक महान शूरवीर और तेजस्वी नेता थे। उन्होंने मुगलों के अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई थी और 'सत श्री अकाल' का नारा दिया था। उन्होंने कायरों को वीर और वीर्स को सिंह बना दिया था। काल का अवतार बनकर उन्होंने शत्रुओं के छक्के छुड़ा दिए थे। इस तरह उन्होंने धर्म, जाति और राष्ट्र को नया जीवन दिया था।गुरु जी का जन्म- गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर, सन् 1666 ई ० को पटना में हुआ। इनका बचपन का नाम गोबिन्द राय रखा गया। उनके पिता नौवें गुरु श्री तेरा बहादुर जी कुछ समय बाद पंजाब लौट आए थे। लेकिन यह अपने माता गुजरी जी के साथ आठ साल तक पटना में ही रहा।

श्री गुरु गोविंद सिंह जी सिक्कों के दसवें गुरु थे। वे एक महान शूरवीर और तेजस्वी नेता थे। उन्होंने मुगलों के अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई थी और 'सत श्री अकाल' का नारा दिया था। उन्होंने कायरों को वीर और वीर्स को सिंह बना दिया था। काल का अवतार बनकर उन्होंने शत्रुओं के छक्के छुड़ा दिए थे। इस तरह उन्होंने धर्म, जाति और राष्ट्र को नया जीवन दिया था।गुरु जी का जन्म- गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर, सन् 1666 ई ० को पटना में हुआ। इनका बचपन का नाम गोबिन्द राय रखा गया। उनके पिता नौवें गुरु श्री तेरा बहादुर जी कुछ समय बाद पंजाब लौट आए थे। लेकिन यह अपने माता गुजरी जी के साथ आठ साल तक पटना में ही रहा।तीव्र बुद्धि- गोबिन्द राय बचपन से ही स्वाभिमानी और शूरवीर थे। मारवाड़ी करना, हथियार चलाना, साथियों की दो टोलियां बनाकर युद्ध करना और शत्रु को जीत के खेल खेलते थे। वे खेल में अपने साथियों का नेतृत्व करते थे। उनकी बुद्धि बहुत तेज थी। उन्होंने आसानी से हिंदी, संस्कृत और फारसी भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था।

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