Shri Guru Teg Bahadur ji essay in Punjabi
Answers
Essay on Guru Teg Bahadur Ji
गुरु तेग बहादुर जी का जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर में श्री गुरु हरगोबिंद साहिब के घर माता नानकी जी की कोख से हुआ आपका बचपन का नाम त्याग मल्ल था। और आप गुरु साहिब के सबसे छोटे पुत्र थे।
गुरु तेग बहादुर जी बचपन से ही शांत स्वभाव के मालिक थे आपका ध्यान हमेशा प्रभु की भक्ति में ही लीन रहता था। गुरु हरगोविंद साहेब ने आपको शिक्षा अपनी देखरेख में करवाई। आप बड़े ही सुंदर जवान विद्वान शूरवीर धर्म और राजनीति में निपुण थे।
आप जी का विवाह सन 1634 में माता गुजरी जी नानक हुआ था आपका निजी जीवन सादा और सुथरा था आप हमेशा एकांत में परमात्मा का सिमरन करते रहते थे। गुरु हरगोबिंद साहिब जी के ज्योति ज्योति समान के पश्चात आप बकाला गांव में आ गए और वहां पर आप करीब 20 वर्षों तक वहां सिमरन करते रहे।
आठवीं गुरु हर कृष्ण जी के ज्योति ज्योति से पहले संघ तुमको बाबा बकाला कह कर आप जी को गुरु गद्दी सौंप दी गई किंतु आपके गुरु प्रकट होने की कथा कुछ निराली है जिसमें गुरु हर कृष्ण जी ने बाबा बकाला की तरफ इशारा किया था वहां कई दंबी खुद को गुर्गद्दी का मालिक बता रहे थे इस तरह वहां पर 22 गुरु बन बैठे थे।
बकाले से आप कीर्तिपुर पहुंचे और फिर कहलूर के राजे से जमीन खरीदकर आनंदपुर साहिब लंगर लगाया जहां गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की साधना की थी।
उस समय मुगल बादशाह औरंगजेब की हुकुम के अनुसार कश्मीर का सूबेदार शेर अफगान तलवार की जोर से कश्मीरी हिंदुओं को मुसलमान बना रहा था कश्मीर के दुखी पंडितों ने गुरु आगे फरियाद की अपने पुत्र गुरु गोविंद राय जी की विनती को स्वीकार करते हुए गुरु तेग बहादुर जी पंडितों की रखवाली के लिए उन्होंने कुर्बानी दी।
इसके पश्चात आप धर्म प्रचार करते हुए आगरा पहुंचे जहां पर गुरु जी को उनके 5 सिखों के समेत गिरफ्तार कर लिया गया दिल्ली में मस्जिद के नजदीक एक इमारत में आप को कैद कर रखा गया आपको इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए बहुत सारी तस्वीरें दिए गए और वक्त आपको अनेकों कष्टों के साथ आपको दिल्ली की चांदनी चौक में शहीद कर दिया गया।
आपका महान बलिदान 11 नवंबर 1675 ईसीबी को हुआ इस स्थान पर आजकल गुरुद्वारा शीशगंज सुशोभित है।.
Hope you have satisfied with this answer.So please follow me and thank me and make me as brainliest soon and vote my answer.