Shri krishan ke savle salone shareer par konse rang ka vastra sushobith hai tatha ve un vastro main kaise dikh rhe hain?
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यह उल्लेख बिहारी के निम्नलिखित दोहे में प्राप्त होता है -
" सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात |
मनो नीलमणि शैल पर आतप पर्यो प्रभात || " श्रीकृष्ण के साँवले सलोने शरीर पर पीले रंग का वस्त्र अर्थात पीताम्बर शोभा दे रहा है | उन वस्त्रों में श्रीकृष्ण की छवि ऐसी लग रही है जैसे किसी नीले रंग की मणि के समान नीले रंगवाले पर्वत पर प्रभात की यानि भोर की धूप पड़ रही हो |
{विशेष : बिहारी का सौन्दर्य वर्णन अनूठा है | वे श्रृंगार रस में निष्णात कवि माने गए है |
यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है क्योंकि श्रीकृष्ण के सुन्दर स्याम शरीर में नीलमणि शैल की और शरीर पर शोभायमान पीताम्बर में प्रभात की धूप की मनोरम सम्भावना व्यक्त की जा रही हैं |
उत्प्रेक्षा अलंकार : जब समानता होने के कारण उपमेय में उपमान के होने की कल्पना या संभावना व्यक्त की जाए तब वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है | पंक्तियों में मनु, मानो ,मनहूँ ,जनु ,जनहु, ज्यों इत्यादि शब्द इसकी पहचान के तौर पर आते है |}