Hindi, asked by jones65, 4 months ago

shri krishn ke bal lila ka varnan kijiye koi sentimental mat hona mujhe marks ke liye chahiye​

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Answered by ranurai58
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सूरदास भक्तिकालीन कृष्ण-काव्य धारा के महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उन्होंने अपने काव्य में कृष्ण बाल-लीलाओं का अद्भुत वर्णन किया है। इस वर्णन में स्वाभाविकता और वात्सल्य रस का सुंदर योग मिलता है। सूरदास जी बालरूप कृष्ण की जिस झलक का वर्णन कर रहे हैं, उसमें उनके हाथ में मक्खन है। उनके मक्खन में सने हाथ अत्यंत सुंदर लग रहे हैं। वे घुटनों के बल चल रहे हैं जिसके कारण उनका शरीर धूल से सना है। कृष्ण को मक्खन और दही बहुत भाता है। अतः उनके मुँह पर दही लगी हुई है। कृष्ण के स्वरूप की सुंदरता का वर्णन करते हुए कवि ने उनके सुंदर गालों तथा चंचल आँखों की चर्चा की है। उनके माथे पर गोरोचन का तिलक लगा है। बालों की लटाएँ लटक रही हैं, जो मुख पर फैल रही हैं। ऐसा लगता है मानो मस्त भौरे गालों रूपी फूलों का मादक रस पी रहे हों। उनके गले में कठुला और शेर का नाखून अत्यंत शोभा दे रहा है। सूरदास जी कहते हैं कि श्री कृष्ण के बाल रूप का एक पल के लिए दर्शन करके सुख प्राप्त करना सैंकड़ों युगों के सुख से भी अधिक श्रेष्ठ तथा मनोहर है। जब कृष्ण थोड़े बड़े हो जाते हैं तो वे बोलना सीख जाते हैं। यशोदा को वे मैया, नंद को बाबा और बलराम को भैया कहने लगे हैं। वे चलने लगे हैं जिसके कारण माता उन्हें खेलते-खेलते दूर तक जाने से रोकती है। उसे भय है कि कोई गाय उनके बच्चे को कोई हानि न पहुँचा दे। ब्रज की गोपियाँ और गोपालों के बच्चे आश्चर्य तथा उत्सुकता से वात्सल्य रस का यह दृश्य देखते हैं। प्रत्येक घर में इस बात की बधाइयाँ दी जा रही हैं। सूरदास भी कृष्ण के इस बालरूप पर न्योछावर हो रहे हैं। समवयस्क बच्चे प्रायः खेलते-खेलते लड़ पड़ते हैं और एक-दूसरे को चिढ़ाने लगते हैं। इसी का मार्मिक और हृदयस्पर्शी वर्णन करते हुए कवि ने कृष्ण द्वारा बलराम भैया की शिकायत करने का दृश्य उपस्थित किया है। बलराम कहता है कि कृष्ण यशोदा का पुत्र नहीं अपितु उसे वे लोग कहीं से खरीद कर लाए हैं। वह बार-बार उनके वास्तविक माता-पिता के नाम पूछता है। बलराम तर्क देकर पूछता है कि नंद और यशोदा तो दोनों गोरे रंग के हैं, फिर उनके यहाँ तुझ जैसा साँवला कैसे हो सकता है? बलराम के इस तर्क पर सभी ग्वालों के बच्चे चुटकी बजा-बजाकर उपहास उड़ाते हैं और बलराम उन्हें बढ़ावा देता है। कृष्ण अब अपनी माँ पर भी संदेह व्यक्त करते हैं क्योंकि वह बलराम को कभी कुछ नहीं कहती उल्टे उसे डाँटती रहती है। ये बातें सुनकर यशोदा मैया मन ही मन प्रसन्न हो रही है। वह उन्हें समझाने के लिए कहती हैं कि बलराम तो जन्म से अत्यंत धूर्त है। अर्थात् उसकी इन बातों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। वह उन्हें विश्वास दिलाने के लिए गोधन की शपथ लेकर कहती है कि वहीं उसकी माता है और वह उन्हीं का अपना पुत्र है। इस प्रकार सूरदास ने श्रीकृष्ण के बालरूप और वात्सल्य रस का सुंदर, मनोहर और स्वाभाविक चित्रण किया है। उनका यह चित्रण बालमनोविज्ञान के अनुसार चित्रित हुआ है जो आज तक अद्वितीय माना जाता है।

Answered by ItzMissKomal
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  • कृष्ण की बाल लीला-
  • भगवान श्री कृष्ण बचपन से ही नटखट थे। जितना वो नंद बाबा और यशोदा जी को परेशान करते थे उतना ही वो गांव वालों को भी अपने नटखट अंदाज और लीलाओं से परेशान करते थे। कृष्ण जी अपने दोस्तों के साथ गांव वालों के माखन चुरा कर खा जाते थे। जिसके बाद गांव की महिलाएं और पुरूष कृष्ण की शिकायत लेकर पहुंच जाते थे।
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