shri Krishna me Sudama ko kaise lotaya
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सुदामा भगवान श्री कृष्ण के परम मित्र थे। दोनों ने एक ही गुरु संदीपिनी के यहां शिक्षा ग्रहण किया था। लेकिन एक भूल के कारण सुदामा दरिद्र हो गए। हालात जब बद से बदत्तर हो चली तो सुदामा की पत्नी ने कहा कि आप तो हमेशा कहते हैं कि द्वारिका के राजा भगवान श्रीकृष्ण आपके मित्र हैं।
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द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा का मन बहुत दुखी था।
Explanation:
- वे कृष्ण द्वारा अपने प्रति किए गए व्यवहार के बारे में सोच रहे थे कि जब वे कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण ने आनन्द पूर्वक उनका आतिथ्य सत्कार किया था। क्या वह सब दिखावटी था?
- वे कृष्ण के व्यवहार से खीझ रहे थे क्योंकि केवल आदर सत्कार करके ही श्रीकृष्ण ने सुदामा को खाली हाथ भेज दिया था। वे तो कृष्ण के पास जाना ही नहीं चाहते थे। परन्तु उनकी पत्नी ने उन्हें भेज दिया।
- उन्हें इस बात का पछतावा भी हो रहा था कि माँगे हुए चावल भी हाथ से निकल गए और कृष्ण ने कुछ दिया भी नहीं।
- द्वारका से लौटकर सुदामा जब अपने गाँव वापस आएँ तो अपनी झोपड़ी के स्थान पर बड़े-बड़े भव्य महलों को देखकर सबसे पहले तो उनका मन भ्रमित हो गया कि कहीं मैं घूम फिर कर वापस द्वारका ही तो नहीं चला आया। फिर सबसे पूछते फिरते हैं तथा अपनी झोपड़ी को ढूँढ़ने लगते हैं। परन्तु ढूँढ नहीं पाते हैं।
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