sibek prabhav
kya hai
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जब दो भिन्य भिन्य धातुओं के तारो के सिरों को जोड़कर एक बंद परिपथ बनाते है तथा इस परिपथ की संधिया को अलग अलग तापो पर रखते है तो , परिपथ में धारा बहने लगता है | इससे ताप विधुत धारा कहते है तथा इस प्रबाह को सीबेक प्रभाह कहते है | जब दो विभिन्न धातुओं; जैसे-ऐन्टिमनी व बिस्मथ की छड़ों को सिरों पर जोड़कर एक बन्द परिपथ बनाते हैं तथा इस परिपथ की दोनों सन्धियों को भिन्न-भिन्न तापों पर रखते हैं तो परिपथ में एक वैद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है और परिपथ में धारा प्रवाहित होने लगती है। यह घटना सीबेक प्रभाव कहलाती है।
यदि एक सन्धि को गलते हुए बर्फ में (0°C पर) रखें तथा दूसरी को किसी उच्च अज्ञात ताप t°C पर तो दोनों के बीच उत्पन्न वैद्युत वाहक बल, तप्त सन्धि के ताप पर निर्भर करता है। यदि इस वैद्युत वाहक बल को माप लिया जाए तो इसकी सहायता से अज्ञात ताप है की गणना की जा सकती है। यही ताप-युग्म तापमापी का सिद्धान्त है।