Sikho gurus ki balidani pranpara Par essay in 800 in words hindi me
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णी:सिख इतिहास
सिख धर्म (IPA: ['siːkɪz(ə)m] (सहायता•info) या ['sɪk-] (info); पंजाबी: ਸਿੱਖੀ, sikkhī, IPA: ['sɪk.kʰiː] (info)) पंद्रहवीं शताब्दी में उपजा और सत्रहवीं शताब्दी में धर्म रूप में परिवर्तित हुआ था. उह उत्तर भारत में पंजाब राज्य में जन्मा था. इसके प्रथम गुरु थे गुरु नानक देव जी, और फ़िर बाद में नौ और गुरु हुए. सिख धर्म: सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, पर उसके पास जाने के लिये दस गुरुओं की सहायता को महत्त्वपूर्ण समझते हैं । इनका धर्मग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब है । अधिकांश सिख पंजाब (भारत) में रहते हैं । सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे एक-ओंकार कहते हैं । उनका मानना है कि ईश्वर अकाल और निरंकार है । सिख शब्द संस्कृत शब्द शिष्य से निकला है, जिसका अर्थ है शिष्य या अनुयायी. [1][2] सिख धर्म विश्व का नौवां बड्क्षा धर्म है। इसे पाँचवां संगठित धर्म भी माना जाता है। [3] गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म का प्रमुख धर्मग्रन्थ है। इसका संपादन सिख धर्म के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी ने किया। गुरु ग्रन्थ साहिब जी का पहला प्रकाश 16 अगस्त 1604 को हरिमंदिर साहिब अमृतसर में हुआ। 1705 में दमदमा साहिब में दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु तेगबहादुर जी के 116 शब्द जोड़कर इसको पूर्ण किया, इसमे कुल 1430 पृष्ठ है।
दस सिख गुरुओं की कथा
1. गुरु नानक - 1469 से 1539 तक गुरु
गुरु नानक गुरु नानक 10 सिक्ख गुरुओं में से पहले गुरु और सिक्ख धर्म के संस्थापक थे उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को राय भोए की तलवंडी, अब ननकाना साहिब (पाकिस्तान) में पिता श्री कालू मेहता जी और माता त्रिपता जी के घर हुआ . गुरु जी को पंजाबी, संस्कृत और फ़ारसी मे महारथ हासिल थी. अपने बचपन में ही कल्पनावाद, पूर्वाग्रहों, पाखंड और मूर्तीपूजा को मानने से इनकार कर दिया था और इसका विरोध किया था. उन्होंने माना कि हिंदू और मुसलमान दोनो बराबर हैं और सभी मनुष्यों को एक ही ईश्वर ने बनाया है इसलिए ना तो कोई छोटा है ना ही कोई बड़ा है सभी मनुष्य एक समान हैं.
सिख धर्म (IPA: ['siːkɪz(ə)m] (सहायता•info) या ['sɪk-] (info); पंजाबी: ਸਿੱਖੀ, sikkhī, IPA: ['sɪk.kʰiː] (info)) पंद्रहवीं शताब्दी में उपजा और सत्रहवीं शताब्दी में धर्म रूप में परिवर्तित हुआ था. उह उत्तर भारत में पंजाब राज्य में जन्मा था. इसके प्रथम गुरु थे गुरु नानक देव जी, और फ़िर बाद में नौ और गुरु हुए. सिख धर्म: सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, पर उसके पास जाने के लिये दस गुरुओं की सहायता को महत्त्वपूर्ण समझते हैं । इनका धर्मग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब है । अधिकांश सिख पंजाब (भारत) में रहते हैं । सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे एक-ओंकार कहते हैं । उनका मानना है कि ईश्वर अकाल और निरंकार है । सिख शब्द संस्कृत शब्द शिष्य से निकला है, जिसका अर्थ है शिष्य या अनुयायी. [1][2] सिख धर्म विश्व का नौवां बड्क्षा धर्म है। इसे पाँचवां संगठित धर्म भी माना जाता है। [3] गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म का प्रमुख धर्मग्रन्थ है। इसका संपादन सिख धर्म के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी ने किया। गुरु ग्रन्थ साहिब जी का पहला प्रकाश 16 अगस्त 1604 को हरिमंदिर साहिब अमृतसर में हुआ। 1705 में दमदमा साहिब में दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु तेगबहादुर जी के 116 शब्द जोड़कर इसको पूर्ण किया, इसमे कुल 1430 पृष्ठ है।
दस सिख गुरुओं की कथा
1. गुरु नानक - 1469 से 1539 तक गुरु
गुरु नानक गुरु नानक 10 सिक्ख गुरुओं में से पहले गुरु और सिक्ख धर्म के संस्थापक थे उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को राय भोए की तलवंडी, अब ननकाना साहिब (पाकिस्तान) में पिता श्री कालू मेहता जी और माता त्रिपता जी के घर हुआ . गुरु जी को पंजाबी, संस्कृत और फ़ारसी मे महारथ हासिल थी. अपने बचपन में ही कल्पनावाद, पूर्वाग्रहों, पाखंड और मूर्तीपूजा को मानने से इनकार कर दिया था और इसका विरोध किया था. उन्होंने माना कि हिंदू और मुसलमान दोनो बराबर हैं और सभी मनुष्यों को एक ही ईश्वर ने बनाया है इसलिए ना तो कोई छोटा है ना ही कोई बड़ा है सभी मनुष्य एक समान हैं.
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