Hindi, asked by sarika3064, 11 months ago

Sikkim Pradesh ki janjatiya Pramukh Nritya ki asit​

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Answered by sumitsilodiya214
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अनेकता में एकता को संजोये हुए भारत उस गुलदस्ते की तरह है जिसमें भिन्न-भिन्न रंगों के फूलों एवं पत्तियों को इस तरह रखा जाता है कि उनकी शोभा द्विगुणित हो जाती है। इसी तरह हमारे देश की सीमा के विभिन्न राज्यों एवं क्षेत्रों की अपनी अलग अलग भाषा एवं संस्कृति के साथ साथ इन क्षेत्रों की अपनी अलग ही लोक गीतों व लोक नृत्यों की समृद्ध विरासत भी हैः जो आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की चकाचौंध में कहीं न कहीं लुप्त होती जा रही है।

साहित्यसंगीतकला विहीनः साक्षात्पशु: पुच्छविषाणहीनः।

जो मनुष्य सगीत साहित्य कला से विहीन है वे साक्षात् पशु के समान है, यद्यपि उनके सींग और पूँछ नहीं होते फिर भी वे पशु समान है, विद्वानों का मानना है कि जो जनजातियां नाचती गाती नहीं - उनकी संस्कृति मर जाती है, समाप्त हो जाती है। ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि हम विलुप्त हो रही इन लोक नृत्यों एवं लोक गायनों के धरोहर को संजो कर नहीं रख पाये तो आने वाली पीढ़ी के लिए इसकी जानकारी भी शेष नहीं रह जायेगी। साधरणतयःदेखने को यही मिलता है कि लोग गीतों की धुन पर झूमते लहरते और नृत्य करते पाये जाते हैं और जो लज्जालु किस्म के लोग होते हैं वे गीतों का आनंद तो लेते ही हैं मन ही मन गुनगुनाते जरूर हैं और कुछ लोग चार दीवारों के बीच छिप कर नाचने गाने वाले भी हैं या कुछ लोग मधुर गीत भुलाये नहीं भूलते, मन ही मन याद कर के, आतंरिक व मानसिक नृत्य चलता ही है, नहीं तो सुन कर आनंदित जरूर होते हैं, इस बात का ध्योतक है कि गीत से नृत्य का सम्बन्ध है दूसरी ओर यदि नृत्य करने का मन हो या नृत्य का आयोजन करना हो तो गीत और संगीत की आवश्यकता तो होती ही है जिसके द्वारा शारीरिक व मानसिक हाव भाव के माध्यम से गीत के बोलों के अर्थ अभिव्यक्त कर दर्शकों व श्रोताओं का मनोरंजन कर आनंदित व आकर्षित कर सके। इस तरह नृत्य का गीत व संगीत से एक गहरा सम्बन्ध है एवं वे एक दूसरे के पूरक भी हैं।

Answered by ansh841507
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भूटिया / सिक्किम के लोकनृत्य में मारूनी और भूटिया

Apr 23, 2016, 02:35 AM IST

सिटी रिपोर्टर

सिंधिया कन्या विद्यालय में शुरू हुए हेरिटेज फेस्ट "धरोहर' में शुक्रवार को विभिन्न कॉम्पटीशन हुए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सिक्किम के संस्कृति मंत्री जीएम गुरुंग मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल प्रिंसिपल निशि मिश्रा ने की। इस अवसर पर धरोहर ब्रोशर का उद्घाटन किया गया।

आज विजेता की घोषणा

सिंधिया कन्या विद्यालय में हेरिटेज फेस्ट "धरोहर' का समापन शनिवार को होगा। यह कार्यक्रम सुबह 11 बजे ऑडिटोरियम में होगा। इसमें विजेता स्कूलों के नाम घोषित किए जाएंगे। इस अवसर पर सिक्किम से आए कलाकारों की ओर से लोकनृत्य की प्रस्तुति होगी।

राजमाता कृष्ण कुमारी स्कूल, जोधपुर

संस्कार वैली, भोपाल

भूटिया नृत्य में 2 बर्फीले शेर एक साथ नृत्य करते हैं।

cultural program

धरोहर फेस्ट में आए 7 स्कूलों के लगभग 100 प्रतिभागियों ने शुक्रवार को शहर की ऐतिहासिक इमारतों का भ्रमण किया। इसमें जयविलास पैलेस म्यूजियम, ग्वालियर फोर्ट और लाइट एंड साउंड शो में ग्वालियर का इतिहास जाना।

सिक्किम थीम पर सजी दुल्हन

सिक्किम थीम पर धरोहर फेस्ट में शुक्रवार को सिक्किम दुल्हन सजाओ प्रतियोगिता हुई। इसमें स्टूडेंट्स ने सिक्किम के गहने और ड्रेस के माध्यम से वहां की संस्कृति के बारे में बताया।

प्रतिभागियों ने बनाया सिक्किम का खाना

सिक्किम व्यंजन प्रतियोगिता में 7 स्कूलों से 2-2 प्रतिभागी शामिल हुए। इन प्रतिभागियों ने सिक्किम के पारंपरिक व्यंजन तैयार किए। इसमें थुकपा, सेल रोटी, खाबजे और मोमोज सहित

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