sikkim project janvar Lal panda hindi me
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लाल पांडा (अलुरस फलजेन– Ailurus fulgens) नेपाल, भारत, भूटान, तीन, लाओस और म्यांमार के पहाड़ी जंगलों में पाए जाते हैं। जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट है, ये लाल रंग के होते हैं, इनके शरीर पर सफेद और काली धारियां होती हैं। इनके पैर और पेट काले होते हैं। पूंछ पर छ्ल्ले बने होते हैं। इनके पैरों के तलवों में भी रोएं होते हैं जो ऊंचाई पर स्थित इनके निवास स्थल में इन्हें गर्म बनाए रखते हैं। कहा जाता है कि फायरफॉक्स वेब ब्राउजर (firefox browser) का नाम भी लाल पांडा के नाम के नाम पर रखा गया है।
लाल पांडा के बारे में तथ्य:
लाल पांडा (अलुरस फलजेन– Ailurus fulgens) नेपाल, भारत, भूटान, चीन, लाओस और म्यांमार की पहाड़ियों और जंगलों में रहते हैं।
लाल पांडा "वाह" नाम की ध्वनि निकालता है जिसकी वजह से इसे सामान्यतया वाह कहा जाता है। लाल रंग के रोएं और सियार की तहत थूथन की वजह से इसे फायर फॉक्स नाम से भी पुकारते हैं।
लाल पांडा का वजन जाइंट पांडा (giant panda) के वजन का 5% होता है।
नर लाल पांडा अपने पिछले पैरों पर खड़े होकर और अपने पंजों से मुक्केबाजी करते हुए एक दूसरे से लड़ते हैं।
अलग– अलग प्रकार की खूशबू का पता लगाने के लिए लाल पांडा अपने जीभों का इस्तेमाल करते हैं।
पहले जीवित लाल पांडा को लंदन के चिड़ियाघर में 22 मई 1869 में रखा गया था।
आम तौर पर पेड़ों पर आराम करते पाए गए लाल पंडा को पेड़ों पर रहने वाला पशु माना जाता है।
लाल पांडा को पानी से नफरत होती है।
गर्म रहने के लिए लाल पांडा कभी– कभी गेंद की तरह गोल हो जाता है। ऐसा करने के लिए वह अपने सिर को अपनी छाती में और नाक को अपने पिछले पंजों के बीच छुपा लेता है।
अगर किसी लाल पांडा की मांद को एक मनुष्य एक बार से अधिक खोज लेता है तो माता पांडा प्रतिक्रियास्वरूप अपने शावक को खा सकती है।
लाल पांडा की पूंछ की लंबाई उसके पूरे शरीर की लंबाई के लगभग बराबर होती है।
नर लाल पांडा अपने शिशुओं का ख्याल रखने में मदद नहीं करते।
ये दुर्लभ जीव मुख्य रूप से बांस खाते हैं और भोजन की तलाश में रोजाना 13 घंटे तक काम करते हैं।
लाल पांडा सिर्फ युवा, मुलायम टहनियों और पत्तियों को ही खाते हैं। ये फल, बेरियां, फूल, कीड़े और पक्षियों के अंडे भी खाते हैं। कभी– कभीर ये कवक, बीज, बलूत का फल, युवा पक्षियों और छोट कृन्तकों को भी खाते हैं।
लाल पांडा एक बार में एक से चार शिशुओं को जन्म दे सकती है। नवजात शिशु मोटे ग्रे रोएं से ढ़ंके होते हैं और उनका वजन 4 से 5 आउंस होता है। जन्म के समय उनकी आंखें और कान बंद होते हैं। शिशु करीब 90 दिनों तक घोंसले में रहते हैं और अगले संभोग समय से पहले तक अपनी माता के साथ रहते हैं। करीब 12 माह में वे युवा हो जाते हैं लेकिन 18 से 24माह से पहले वे प्रजनन के लिए तैयार नहीं होते।
लाल पांडा अल–सुबह और देर दोपहर में सबसे अधिक सक्रिए होते हैं। अपनी पूंछ को अपने चारों तरफ लपेट कर वे पेड़ों पर सो जाते हैं।
शारीरिक हाव–भाव और अलग– अलग प्रकार की ध्वनियों के माध्यम से ये बातचीत करते हैं। इसमें सीटी बजाना भी शामिल है।
लाल पांडा जमीन पर बहुत धीरे– धीरे चलते हैं।
आवास के समाप्त होने के अलावा टोपी आदि बनाने के लिए इनके रोओं के लिए शिकार की वजह से लाल पांडा को विलुप्तप्राय जीवों की सूची में रखा गया है।
लाल पांडा के प्राकृतिक शिकारी हैं– हिम तेंदुआ, धूमिल तेंदुआ और जंगली कुत्ते आदि।
लाल पांडा रक्कून नाम के पशु के आकार का होता है और इनका वजन 7 से 14 पाउंड के करीब होता है। ये करीब 20 से 26 इंच लंबे होते हैं। पूंछ को शामिल करें तो इनकी लंबाई में 12 से 20 इंचों का औऱ इजाफा हो जाएगा।
इनके अन्य नाम हैः बीयर– कैट (भालू– बिल्ली), ब्राइट पांडा, कैट– बीयर, फायर फॉक्स, लेस्सर पांडा, पेटिट पांडा और पूनिया।
इनके पंजे आंशिक रूप से खींचने योग्य होते हैं। इनमें एक विस्तारित हड्डी होती है जो "अंगूठे" के जैसे होती है।
लाल पांडा 12 से 14 वर्षों तक जीवित रहता है।
सर्दियों में अक्सर लाल पांडा का वजन 15% तक कम हो जाता है।