simple and compound interestin Hindi
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चक्रवृध्दि ब्याज (Compound Interest )- जब किसी मूलधन के साथ ब्याज जुड़कर उस प्राप्त मिश्रधन पर भी ब्याज लगाया जाता हैं , तो वही ब्याज ही चक्रवृद्धि ब्याज कहलाता है।
चक्रवृध्दि ब्याज के कुछ नियम और शर्ते-
दोस्तो समय के अनुसार चक्रवृध्दि ब्याज की कुछ नियम और शर्ते होती है जो कुछ इस प्रकार है
प्रथम शर्त- ( वार्षिक शर्त )
प्रथम शर्त में ब्याज का हिसाब वार्षिक करके प्राप्त ब्याज मूलधन में जोड़ना होता है।
द्वितीय शर्त- (अर्ध्दवार्षिक शर्त या छवाही शर्त)-
ब्याज का हिसाब वर्ष में दो बार करके प्राप्त ब्याज को मूलधन में जोड़ना होता है।
दोस्तो जब शर्त अर्ध्दवार्षिक हो तो दर को आधा व समय को दुगुना कर देते है।
नया दर (new rate) = R /2 , नया समय (new time)= 2 x t
तृतीय शर्त- (त्रेमासिक शर्त या तिमाही शर्त)-
जब ब्याज का हिसाब वर्ष में चार बार किया जाता है और प्राप्त ब्याज को मूलधन में जोड़ा जाय तो दर को चौथाई और समय को चार गुना कर दिया जाता है।
तो इस प्रकार नया दर एवं नया समय क्रमशः R/4 और 4 x t कर दिया जाता है।
चक्रवृध्दि ब्याज = मूलधन [1+(दर/100)]समय–मूलधन
यहाँ पर चक्रवृध्दि ब्याज =Compound Interest (C.I)
मूलधन =Principle(P) मिश्रधन =Amount(A)
दर =Rate(R) समय =Time(T)
से प्रकट करते हैं। तो उपरोक्त सूत्र को हम इस प्रकीर भी लिख सकते है।
(C.I)=P[1+(rate/100)]T-P
अब मिश्रधन = मूलधन [1+(दर/100)]समय
➨ मिश्रधन = मूलधन + चक्रवृध्दि ब्याज
➨ मूलधन = मिश्रधन- चक्रवृध्दि ब्याज
➨ चक्रवृध्दि ब्याज= मिश्रधन- मूलधन