Hindi, asked by shaider, 5 months ago

simple examples of all types of ras

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Answered by Monikastudent
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रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे 'रस' कहा जाता है।रस का सम्बन्ध 'सृ' धातु से माना गया है। जिसका अर्थ है - जो बहता है, अर्थात जो भाव रूप में हृदय में बहता है उसी को रस कहते है।

रस को 'काव्य की आत्मा' या 'प्राण तत्व' माना जाता है।

रस उत्पत्ति को सबसे पहले परिभाषित करने का श्रेय भरत मुनि को जाता है। उन्होंने अपने 'नाट्यशास्त्र' में आठ प्रकार के रसों का वर्णन किया है।भरतमुनि ने लिखा है- विभावानुभावव्यभिचारी- संयोगद्रसनिष्पत्ति अर्थात विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है

  • रस

स्थायी भाव

1

श्रृंगार

रति

2

हास्य

हास

3

करुण

शोक

4

रौद्र

क्रोध

5

वीर

उत्साह

6

भयानक

भय

7

वीभत्स

जुगुप्सा

8

अद्भुत

विस्मय

9

शांत

निर्वेद

10

वात्सल्य

वत्सलता

11

भक्ति रस

अनुराग

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