sindhiya kitni hoti h
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सिंधिया राजवंश राणोजी सिंधिया, जो महाराष्ट्र के सातारा जिले में कान्हेरखेड गांव के पाटिल जानकोजीराव के पुत्र द्वारा स्थापित किया गया था। १८१८ के तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध में अंग्रेजों के हाथों मराठा राज्यों की हार के बाद, दौलतराव सिंधिया ब्रिटिश भारत के भीतर एक रियासत के रूप में स्थानीय स्वायत्तता स्वीकार करने और अजमेर को अंग्रेज़ो को देने के लिए मजबूर हो गये। दौलतराव की मृत्यु के बाद, महारानी बैज़ा बाई ने साम्राज्य चलाया और ब्रिटिश सत्ता से बची रही, उसके बाद उनके गोद लिए हुए जानकोजी राव ने सत्ता संभाली। जानकोजी की मृत्यु १८४३ में हुई और उनकी विधवा ताराबाई राजे सिंधिया ने सफलतापूर्वक स्थिति को यथावत बनाए रखा और जयाजीराव नामक बालक को गोद लिया।
सिंधिया परिवार ने १९४७ तक भारत की स्वतंत्रता तक ग्वालियर पर शासन किया। तब महाराजा जीवाजिराव सिंधिया ने भारत मे विलय के लिये स्वीकृति दे दी। ग्वालियर अन्य रियासतों के साथ विलय के साथ मध्य भारत का नया राज्य बन गया। जॉर्ज जीवाजिराव ने राज्यप्रमुख के रूप में २८ मई १९४८ से ३१ अक्टूबर १९५६ तक कार्य किया, तब मध्य भारत का मध्य प्रदेश में विलय कर दिया गया।
१९६२ में महाराजा जीवाजिराव की विधवा, राजमाता विजयाराजे सिंधिया लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं और इस प्रकार सिंधिया परिवार की चुनावी राजनीति में जीवन - यात्रा प्रारंभ हुई। वे शुरू मे कांग्रेस पार्टी की सदस्य थी, परन्तु बाद में भारतीय जनता पार्टी की एक प्रभावशाली सदस्य बन कर उभरीं। उनके पुत्र माधवराव सिंधिया १९७१ में कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और २००१ मे मृत्यु तक लोकसभा के सदस्य रहे। उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने पिता की लोक सभा सीट पर कांग्रेस पार्टी के टिकट पर २००४ चुने गये।