Sindhu ghati sabhyata ki Nagar Yojana
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वास्तव में सिन्धु घाटी सभ्यता अपनी विशिष्ट एवं उन्नत नगर योजना (town planning) के लिए विश्व प्रसिद्ध है क्योंकि इतनी उच्चकोटि का “वस्ति विन्यास” समकालीन मेसोपोटामिया आदि जैसे अन्य किसी सभ्यता में नहीं मिलता. सिन्धु अथवा हड़प्पा सभ्यता के नगर का अभिविन्यास शतरंज पट (ग्रिड प्लानिंग) की तरह होता था, जिसमें मोहनजोदड़ो की उत्तर-दक्षिणी हवाओं का लाभ उठाते हुए सड़कें करीब-करीब उत्तर से दक्षिण तथा पूर्ण से पश्चिम को ओर जाती थीं. इस प्रकार चार सड़कों से घिरे आयतों में “आवासीय भवन” तथा अन्य प्रकार के निर्माण किये गये हैं.
नगर योजना एवं वास्तुकला के अध्ययन हेतु हड़प्पा सभ्यता के निम्न नगरों का उल्लेख प्रासंगिक प्रतीत होता है –
हड़प्पा
मोहनजोदड़ो
चान्हूदड़ो
लोथल
कालीबंगा
हड़प्पा के उत्खननों से पता चलता है कि यह नगर तीन मील के घेरे में बसा हुआ था. वहाँ जो भग्नावशेष प्राप्त हुए हैं उनमें स्थापत्य की दृष्टि से दुर्ग एवं रक्षा प्राचीर के अतिरिक्त निवासों – गृहों, चबूतरों तथा “अन्नागार” का विशेष महत्त्व है. वास्तव में सिंधु घाटी सभ्यता का हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, सुत्कागेन-डोर एवं सुरकोटदा आदि की “नगर निर्माण योजना” (town planning) में मुख्य रूप से समानता मिलती है. इनमें से अधिकांश पुरास्थ्लों पर पूर्व एवं पश्चिम दिशा में स्थित “दो टीले” हैं.
कालीबंगा ही एक ऐसा स्थल है जहाँ का का “नगर क्षेत्र” भी रक्षा प्राचीर से घिरा है. परन्तु लोथल तथा सुरकोटदा के दुर्ग तथा नगर क्षेत्र दोनों एक ही रक्षा प्राचीर से आवेष्टित थे. ऐसा प्रतीत होता है कि दुर्ग के अंदर महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक तथा धार्मिक भवन एवं “अन्नागार” स्थित थे. संभवतः हड़प्पा में गढ़ी के अन्दर समुचित ढंग से उत्खनन नहीं हुआ है.
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सिन्धु सभ्यता के प्रमुख नगर थे—मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, चन्हूदड़ो, कालीबंगा, लोथल, सुरकोतड़ा तथा बनावली। सिन्धु सभ्यता के नगर नदियों के किनारे स्थित थे। इनमें मोहनजोदड़ो और हड़प्पा, दो बड़े नगर थे। इनमें हड़प्पा नगर नष्ट हो गया है। मोहनजोदड़ो का क्षेत्रफल लगभग 1 वर्ग मील है। यह नगर दो भागों में विभाजित है। पश्चिमी खण्ड में गारे और कच्ची ईंटों से निर्मित एक चबूतरा है। सभी भवनों का निर्माण इसी भाग में किया गया है। इसके चारों ओर कच्ची ईंटों का परकोटा बनाया गया है, जिसमें मीनारें और बुर्ज हैं। चन्हूदड़ो में एक कारखाना पाया गया है। कालीबंगा में भी दो खण्ड पाए गए हैंएक उच्च वर्ग के लिए परकोटायुक्त और दूसरा जन-साधारण के लिए। यहाँ हवन कुण्ड का भी साक्ष्य मिला है। लेकिन यहाँ के मकान कच्ची ईंटों के बने हैं। यहाँ ईंटों के चबूतरे भी मिले हैं, जो सम्भवतः अन्नागार रहे होंगे। लोथल के पूर्वी खण्ड में पक्की ईंटों का तालाब जैसा घेरा मिला है, जिसे विद्वान् बन्दरगाह मानते है।
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