sirf tark karne wale ka dimag Ek Aise chaku ki Tarah Hai Jisme Sharif Dhar Hai Baha prayog Karne Wale Ka Haath Rakt Maiye kar deta hai (Rabindranath Tagore)
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हम अक्सर गलतफहमी में पढ़कर अपने मित्रों, अपने परिवार, अपने चाहने वालों से मतभेद कर लेते हैं। अनावश्यक तर्क करके जो हमें शोभा नहीं देता।
तर्क करके हम अपनी छवि को नष्ट करते हैं। हम अपने आचरण को खराब करते हैं।
जिस तरह तेज धारदार चाकू से हाथ कटने पर हमारे शरीर का लहू बहता है ठीक वैसे ही ज्यादा तर्क करने से हमारे आपसी रिश्ते खराब होते हैं।
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हम अक्सर गलतफहमी में पढ़कर अपने मित्रों, अपने परिवार, अपने चाहने वालों से मतभेद कर लेते हैं। अनावश्यक तर्क करके जो हमें शोभा नहीं देता।
तर्क करके हम अपनी छवि को नष्ट करते हैं। हम अपने आचरण को खराब करते हैं।
जिस तरह तेज धारदार चाकू से हाथ कटने पर हमारे शरीर का लहू बहता है ठीक वैसे ही ज्यादा तर्क करने से हमारे आपसी रिश्ते खराब होते हैं।
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