Sita Ke bare me 100 words me likhon
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सीता माता के जन्म के सम्बन्ध में दो कथाएँ प्रचलित हैं, जिनमें कौन सी अधिक प्रमाणित है इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता हैं. आम धारणा के अनुसार माना जाता हैं राजा जनक के खेत में हल जोतते समय एक पेटी निकली उस पेटी में सीता थीमैथिलि में हल को सीत कहते हैं इसलिए इन्हें सीता या जनकसुता जानकी, जनकात्मजा कहते हैं. भूमि से उत्पन्न होने के कारण इनकी माता पृथ्वी मानी जाती हैं जिसके कारण सीताजी को भूमिपुत्री या भूसुता भी कहते हैं.
एक अन्य कथा के अनुसार माता सीता वेदवती के अगले जन्म के रूप में रावण व उसकी पत्नी मन्दोदरी की बेटी के रूप में रावण से बदला लेने के लिए उत्पन्न हुई. इसके पीछे कारण यह बताया जाता हैं कि वेदवती नामक सुंदर व सुशील कन्या विष्णु की परम भक्त थी वह उनसे विवाह करना चाहती थी. इसी के लिए उसने संसार का त्याग कर वन में घोर तपस्या करने लगी. एक दिन रावण की नजर उस पर पड़ी तो वह उसके रूप का मोहित हो गया तथा उसके साथ दुर्व्यवहार करना चाहा. तो उसने स्वयं को यज्ञ की अग्नि में आहूत करते हुए रावण को श्राप दिया कि वे अगले जन्म में उनकी बेटी बनकर आएगी तथा उसकी मृत्यु का कारण बनेगी. ऐसी मान्यता हैं कि कुछ ही समय बाद मन्दोदरी के गर्भ से एक सुंदर पुत्री ने जन्म लिया, मगर रावण ने अपने श्राप से भय से उसे समुद्र में बहा दिया. जलदेवी ने उस कन्या को बचाकर पृथ्वी को सौप दिया, तथा पृथ्वी ने सीता को जनक के घर बेटी के रूप में उन्हें सौप दिया.