Sita Swayamvar essay in gujarati
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सीता मैया राजा जनक की पुत्री थी. वास्तव में माता सीता का जन्म धरती मैया से हुआ था , इसलिए इनका एक नाम भूमिजा भी हैं. सीता मैया का जीवन साधारण नहीं था. वे बचपन से ही कई असाधारण काम करती रहती थी, जिनमे से एक था शिव के धनुष से खेलना जिसे कई महान महारथी हिला भी नहीं सकते थे. यह शिव धनुष पृथ्वी के संरक्षण के लिये भगवान विश्वकर्मा ने बनाया था, जिसे भगवान शिव ने भगवान परशुराम को दिया. परशुराम जी ने इस धनुष से कई बार पृथ्वी की रक्षा की और बाद में इसे राजा जनक के पूर्वज देवराज के संरक्षण में रख दिया. यह दिव्य धनुष इतना ज्यादा भारी था, कि इसे बड़े-बड़े शक्तिशाली राजा हिला भी नहीं सकते थे, लेकिन नन्ही सीता इसे आसानी से उठा लिया करती थी. यह दृश्य देख राजा जनक को अहसास हुआ, कि सीता कोई साधारण कन्या नहीं हैं ,यह कोई दिव्य आत्मा हैं, इसलिए उन्होंने बाल्यकाल में ही निश्चय कर लिया, कि वे सीता का विवाह किसी साधारण मनुष्य से नहीं करेंगे, लेकिन वे सीता के लिए दिव्य पुरुष को कैसे खोजे. यह सवाल उन्हें अक्सर सताता था, तब उन्हें ख्याल आया, कि वे स्वयंवर (स्वयम्वर का अर्थ यह होता था, कि इसमें कन्या स्वयम अपनी इच्छानुसार अपने लिये पति का चुनाव कर सकती थी.) का आयोजन करेंगे, जिसमे यह शर्त रखी जाएगी, कि जो धनुर्धारी शिव के इस महान दिव्य धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ायेगा, वो ही सीता के योग्य समझा जायेगा.
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