Hindi, asked by saitsaraa1na, 1 year ago

Small paragraph on paropkar.

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Answered by Shreyathegreat
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राजा भर्तृहरि ने नीतिशतक में लिखा है, 'सूर्य कमल को स्वयं खिलाता है। चंद्रमा कुमुदिनी को स्वयं विकसित करता है। बादल स्वयं, बिना किसी के कहे, जल देता है। महान आत्माएं यानी श्रेष्ठ जन अपने आप दूसरों की भलाई करते हैं।' इसका आशय यह है कि प्रकृति का हर तत्व दूसरों की भलाई बिना किसी के कहे करता है। यही वजह है कि हमें भौतिक जगत का प्रत्येक पदार्थ मनुष्य के उपकार में लीन दिखता है। सूर्य, चंद्रमा, तारे, आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी, औषधियां, वनस्पतियां- फल, फूल और पालतू पशु दिन-रात मनुष्य के कल्याण में लगे हुए हैं। ये सभी दूसरों के उपकार के लिए कुछ न कुछ देते हैं। यदि ये परोपकार में लगे हैं तो एक मनुष्य को दूसरे मनुष्य के प्रति उपकार क्यों नहीं करना चाहिए? प्रकृति का यह एक महान संदेश है। जैसे सूर्य अपना प्रकाश स्वयं ही सब को समान रूप से देता है, हमारे जीवन का उद्देश्य भी ऐसा ही होना है।
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