small poem in Hindi on women empowerment
Answers
1.
नारी सशक्तिकरण के नारों से,गूंज उठी है वसुंधरा,
संगोष्ठी, परिचर्चाएं सुन-सुन, अंतर्मन ये पूछ पड़ा।
वेद, पुराण, ग्रंथ सभी, नारी की महिमा दोहराते,
कोख में कन्या आ जाए, क्यूं उसकी हत्या करवाते?
कूड़े, करकट के ढेरों में, कुत्तों के मुंह से नुचवाते,
बेटे की आस में प्रतिवर्ष,बेटियां घरों में जनवाते ।
कोख जो सूनी रह जाए ,अनाथाश्रमों की फेरी लगाते,
गोद में बालक ले लेते,बालिका को हैं ठुकराते।
गुरुद्वारे, मंदिर, गिरजे, मस्जिद, जा-जा नित शीश नवाते,
पुत्र-रत्न पाने की चाहत,ईश्वर को भी भेंट चढ़ाते।
चांदी के सिक्कों के प्रलोभी, दहेज की बलि चढ़ा देते,
पदोन्नति की खातिर, सीढ़ी इसे बना लेते।
मनचले, वाणी के तीरों से, सीना छलनी कर देते,
वहशी, दरिंदे, पशु,असुर, क्यूं हवस अपनी बुझा लेते।
सरस्वती, लक्ष्मी, शीतला, नारी दुर्गा भी बन जाए,
मनमोहिनी, गणगौर सी,काली का रूप भी दिखलाए।
शक्ति को ना ललकारो, इसको नारी ही रहने दो,
करुणा, ममता की सरिता ये,कल-कल शीतल ही बहने दो ।
2.
तोड़ के पिंजरा
जाने कब उड़ जाऊँगी मैं
लाख बिछा दो बंदिशे
फिर भी आसमान मैं जगह बनाऊंगी मैं
हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ
भले ही रूढ़िवादी जंजीरों सेबांधे है दुनिया ने पैर मेरे
फिर भी इसे तोड़ जाऊँगी
मैं किसी से कम नहीं सारी दुनिया को दिखाऊंगी
जो हालत से हारे ऐसी नहीं मैं लाचारी हूँ
हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ