small story on friend in hindi please say me
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दो बचपन के दोस्तों का सपना बड़े होकर सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना था. दोनों ने अपना यह सपना पूरा किया और सेना में भर्ती हो गये.
बहुत जल्द उन्हें देश सेवा का अवसर भी प्राप्त हो गया. जंग छिड़ गई और उन्हें जंग में भेज दिया गया. वहाँ जाकर दोनों ने बहादुरी से दुश्मनों का सामना किया.
जंग के दौरान एक दोस्त बुरी तरह घायल हो गया. जब दूसरे दोस्त को यह बात पता चली, तो वह अपने घायल दोस्त को बचाने भागा. तब उसके कैप्टन ने उसे रोकते हुए कहा, “अब वहाँ जाने का कोई मतलब नहीं. तुम जब तक वहाँ पहुँचोगे, तुम्हारा दोस्त मर चुका होगा.”
लेकिन वह नहीं माना और अपने घायल दोस्त को लेने चला गया. जब वह वापस आया, तो उसके कंधे पर उसका दोस्त था. लेकिन वह मर चुका था. यह देख कैप्टन बोला, “मैंने तुमसे कहा था ना कि वहाँ जाने का कोई मतलब नहीं. तुम अपने दोस्त को सही-सलामत नहीं ला पाए. तुम्हारा जाना बेकार रहा.”
सैनिक ने उत्तर दिया, “नहीं सर, मेरा वहाँ उसे लेने जाना बेकार नहीं रहा. जब मैं उसके पास पहुँचा, तो मेरी आँखों में देख मुस्कुराते हुए उसने कहा था – दोस्त मुझे यकीन था, तुम ज़रूर आओगे. ये उसके अंतिम शब्द थे. मैं उसे बचा तो नहीं पाया. लेकिन उसका मुझ पर और मेरी दोस्ती पर जो यकीन था, उसे बचा लिया.”
Explanation:
सीख – सच्चे दोस्त अंतिम समय तक अपने दोस्त का साथ नहीं छोड़ते.