Small story on imandari and lagan
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ईमानदारी ही सबसे अच्छी नीति है ।
एक गांव में एक ईमानदार लड़का राकेश रहता था , राकेश की मां ने है बचपन से उसका भरण पोषण किया था ।
राकेश के पिता जी की बचपन में ही मौत हो गई थी ।
अब राकेश बड़ा हो गया था तो वह अपनी मा के साथ घर के खर्चे के लिए हाथ बटाना चाहता था ।
राकेश ने मजदूरी करने का फैसला किया वह अभी छोटी ही उम्र का था , पर वह मजदूरी करता था।
एक दिन दूसरे गांव में मेला लग गया । राकेश के दोस्त कहने लगे कि हम सब मेले में चलेंगे ।
पर राकेश ने मना कर दिया ।
अब राकेश के दोस्तो ने राकेश कि मा को कहा तो , राकेश अपनी मा के कहने पर मेले मी चला गया ।
मेले ने दूसरे गांव में लगना था , और गांव भी बहुत दूर था , इसी वजह से वह जल्दी सुबह को चले गए ।
दूर चलकर वह थक गए , राकेश और उसके चार दोस्तो ने पेड़ की छाया में आराम करने की सोची ।
वह सभी आराम के रहे थे तभी वहां लुटेरे आ गए ।
अब उन सभी को मारने कि धमकी देने लगे ।
अब लुटेरे ने कहा कि तुम अपना धन मुझे दे दो नहीं तो में तुम सभी को मार दूंगा ।
उन्होंने सभी की तलाशी लेने शुरी की , राकेश के पास से उन्हें कुछ नहीं मिला।
अब उन्हें राकेश पर शक हुआ तो उन्होंने राकेश की कमीज़ निकल कर झड़ी पर रुपए नहीं मिले ।
अब लुटेरे ने कहा कि तुम मेले मी बिना धन ले जाए हुए क्यों जा रहे हो ।
तुम्हारे पास कुछ नहीं मिला।
अब राकेश ने ईमानदारी से खा नहीं जनाब मेरे कमीज़ की जेब में रुपए है ।
सभी हसने लगे ।
पर लुटेरे के सरदार ने कहा कि जब तुम्हारे पास कुछ नहीं मिला तो तुम कह सकते थे कि नहीं है धन ।
पर तुमने मुझे क्यों बता दिया , अब राकेश बोला , जनाब मेरी मां कहत
है कि मुंह का निवाला कोई नहीं छीन सकता , और दाने दाने पर लिखा है कहने वाले का नाम , मेरी मां कहती है कि ईमानदारी ही सबसे अच्छी नीति है इसी लिए में आपको ईमानदारी से बता दिया ।
सरदार खुश हो गया , वह बहुत प्रभावित हुआ । उसने सभी का धन वापिस कर दिया , और कहा कि में भी अब्ज ईमानदारी से रहूंगा और चोरी चकारी छोड़ दूंगा ।