smart class essay in hindi
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स्कूल में शिक्षा की तस्वीर बदल रही है। अब कक्षाओं में छात्रों की पढ़ाई, पहले से ज्यादा सुविधाजनक और हाईटेक हो गई हैं। देश के कई स्कूलों में ब्लैकबोर्ड के जगह प्रोजेक्टर्स, टीचर के हाथ में चॉक की जगह स्टाइलस डिवाइस और बच्चों के हाथ में पेन पेंसिल की जगह रिमोर्ट कंट्रोल आ गए हैं। ऐसे में इसे विकासशील देश में शिक्षा की नई तस्वीर कहा जा सकता है।
नई तकनीकी से शिक्षा ले रहे छात्राओं की पढ़ाई केवल किताबों तक सीमित नहीं हैं। पढ़ाई के इस नए तरीके में बच्चों को हर चीज वीडियो, पिक्चर्स और ग्राफिक्स के जरिए समझाई जाती है। टेस्ट देने के लिए भी हाई-टेक तरीके का इस्तेमाल है। प्रोजक्टर पर प्रश्न दिखते ही छात्र रिमोर्ट के जरिए अपना जवाब देंगे और तुरंत सही, गलत का पता भी चल जाएगा। पढ़ाई का तरीका बदलने वाली ये टेक्नोलॉजी न सिर्फ बच्चों के लिए दिलचस्प है बल्कि टीचर्स के लिए आसान है।
किंदर गार्डन से लेकर 12वीं क्लास के ये मोड्यूल आईसीएसई, सीबीएसई बोर्ड के अलावा स्टेट बोर्ड में भी उपलब्ध है। इतना ही नहीं हिंदी, मराठी, गुजराती, तामिल जैसी भाषाएं भी इस मोड्यूल के जरिए आसानी से पढ़ाई जा रही है। बच्चों को दिया जाना वाला होमवर्क स्कूल की वेबसाइट पर मिल जाता है और स्कूल की हर एक्विटविटी का जानकारी ट्विटर पर दी जाती है।
भले ही ये चलन दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े मेट्रो शहरों से शुरू हुआ हो, पर अब भोपाल, इंदौर, धर्मशाला, चंढ़ीगढ, लखनऊ जैसे शहरों में ये ज्यादा पॉपुलर हो गया है। स्मार्ट क्लास का ये कारोबार हर साल करीब 20 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है। एडुकॉम्प, एवरॉन, एनआईआईटी, कोर एजुकेशन, टाटा इंटरेक्टवि सर्विसेज जैसी कंपनियां इस कारोबार में उतर चुकी हैं।
पढ़ाई का ये नया तरीका दिलचस्प और आसान तो है, लेकिन थोड़ा महंगा भी है। आपके बच्चे को स्मार्ट किड बनाने के लिए आपको अपनी जेब थोड़ी हल्की तो करनी पड़ेगी, पर इसकी संभावनाओं को देखते हुए लोग ये करने के लिए भी तैयार है।
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