smartphone ka chatro par badhta Prabhav
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सेलफोन और विद्यार्थी
सेलफोन आज के युग की एक प्रमुख आवश्यकता है। दूरसंचार का प्रमुख साधन होने के कारण यह इतना लोकप्रिय हो गया है कि विद्यार्थी वर्ग भी इसके आकर्षण से दूर नहीं रह पाया है।
आज सेलफोन दूरसंचार का साधन कम और मनोरंजन का साधन अधिक हो गया है। इसका प्रयोग विद्यार्थी द्वारा ज्ञान प्राप्ति या सन्देश देने के लिए नहीं बल्कि संगीत सुनने के लिए, विडियो देखने और गेम खेलने के लिए अधिक किया जा रहा है। सेलफोन कान में लगाकर गाने सुनते हुए पढ़ना और वाहन चलाना आज के विद्यार्थी का शौक है।
सेलफोन के कारण विद्यार्थी वर्ग में फ़िज़ूलखर्च करने की आदत भी बढ़ गई है। इस अतिरिक्त खर्च का बोझ माता-पिता के ऊपर पड़ता है या विद्यार्थी अपने खर्च को पूरा करने के लिए गलत तरीके अपनाने लगता है।
सेलफोन के दुरुपयोग के कारण विद्यार्थी अपने उज्ज्वल भविष्य से भटककर पतन की ओर जाने लगा है। उसमें असभ्यता, अशिष्टता एवं असामाजिकता पनपने लगी है। जीवन सुधार की ओर न जाकर गलत पथ पर जा रहा है।
विद्यार्थियों का यह कर्त्तव्य है कि सेलफोन के आकर्षण से अपने को दूर रखकर विद्याध्ययन करके अपने भविष्य को उज्ज्वल बनायें। इस कार्य हेतु गुरुजन एवं माता-पिता द्वारा विद्यार्थियों को सदैव प्रेरणा देते रहना चाहिए।
सेलफोन आज के युग की एक प्रमुख आवश्यकता है। दूरसंचार का प्रमुख साधन होने के कारण यह इतना लोकप्रिय हो गया है कि विद्यार्थी वर्ग भी इसके आकर्षण से दूर नहीं रह पाया है।
आज सेलफोन दूरसंचार का साधन कम और मनोरंजन का साधन अधिक हो गया है। इसका प्रयोग विद्यार्थी द्वारा ज्ञान प्राप्ति या सन्देश देने के लिए नहीं बल्कि संगीत सुनने के लिए, विडियो देखने और गेम खेलने के लिए अधिक किया जा रहा है। सेलफोन कान में लगाकर गाने सुनते हुए पढ़ना और वाहन चलाना आज के विद्यार्थी का शौक है।
सेलफोन के कारण विद्यार्थी वर्ग में फ़िज़ूलखर्च करने की आदत भी बढ़ गई है। इस अतिरिक्त खर्च का बोझ माता-पिता के ऊपर पड़ता है या विद्यार्थी अपने खर्च को पूरा करने के लिए गलत तरीके अपनाने लगता है।
सेलफोन के दुरुपयोग के कारण विद्यार्थी अपने उज्ज्वल भविष्य से भटककर पतन की ओर जाने लगा है। उसमें असभ्यता, अशिष्टता एवं असामाजिकता पनपने लगी है। जीवन सुधार की ओर न जाकर गलत पथ पर जा रहा है।
विद्यार्थियों का यह कर्त्तव्य है कि सेलफोन के आकर्षण से अपने को दूर रखकर विद्याध्ययन करके अपने भविष्य को उज्ज्वल बनायें। इस कार्य हेतु गुरुजन एवं माता-पिता द्वारा विद्यार्थियों को सदैव प्रेरणा देते रहना चाहिए।
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