Hindi, asked by mishtijain83, 11 months ago

smartphone ka Chhatra par badhta Prabhav Par Ek aLekh likhiye​

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Answered by yamini515
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इस रिसर्च पेपर ने अंदेशा जताया है कि एलईडी लाइट्स के बढ़ते इस्तेमाल का दिमाग़ी तौर पर बीमार लोगों के इलाज पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. इसी तरह, अगर सेहतमंद लोगर वो मोबाइल या दूसरे तरह के डिजिटल ऐप के ज़रिए अपनी सेहत की निगरानी करते हैं. जैसे कि मूड में बदलाव, या ब्लड प्रेशर नापना और अगर वो ये काम सोने से ठीक पहले करते हैं. तो, इसका बुरा असर उनकी नींद पर पड़ता है. उनकी बॉडी क्लॉक गड़बड़ हो जाती है. इसका उनकी सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव होता है.

प्रोफ़ेसर गॉटलिब कहते हैं कि, 'आज स्मार्टफ़ोन बहुत आम हैं. इसी वजह से लोगों की ये सेहत के लिए बहुत बड़ा ख़तरा बनते जा रहे हैं. अब इनके साथ अगर घर मे भी एलईडी बल्ब लगे हैं. सड़कों पर भी लगे हैं. पब, बार, सिनेमाहॉल से लेकर ट्रैफ़िक सिग्नल और पढ़ने के ठिकानों जैसे लाइब्रेरी या यूनिवर्सिटी में भी एलईडी बल्ब लगे हैं, तो इनसे रोशनी वाला प्रदूषण फैल रहा है. इंसान आज इस प्रदूषण का शिकार हो रहा है'.मोबाइल फोन आज के समय में सबसे उपयोगी और जरुरी वस्तु हो गई है. दुनिया में आज के समय में हर दुसरे इन्सान के पास मोबाइल फोन है. पहले एक जगह से दूसरी जगह बात करने के लिए चिट्ठियां चला करती थी, फोन में टेलीग्राम हुआ करते थे, जिसमें नंबर लगाकर घंटों, या कई दिन तक इंतजार के बाद बात हो पाती थी. फिर कुछ समय बाद घर में फोन आ गया, जिसे लैंडलाइन कहा गया. लैंडलाइन के द्वारा देश, विदेश में सब जगह बात होने लगी. फिर कुछ समय बाद विज्ञान ने और तरक्की की और वायरलेस फोन का निर्माण हुआ, जिसे मोबाइल कहा गया. विज्ञान के क्षेत्र में मोबाइल ने अविस्मरणीय काम किये है.मोबाइल आज के समय में मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन है. मोबाइल फोन एक ऐसी चीज है, जो इन्सान के साथ चोबीस घंटे रहती है. यह आज के समय में सबकी आदत बन गई, जिसे लोग चाह कर भी नहीं छोड़ पाते है. मोबाइल के उपभोक्ता बढ़ रहे है, तो मोबाइल टावर कंपनियां भी बढ़ती जा रही है, जो जगह-2 अपने शहरों के बीच टावर खड़े कर रहे है. ये मोबाइल टावर का मानव जीवन में क्या असर पड़ता है, क्या मोबाइल टावर के दुष्परिणाम है? या सिर्फ ये भ्रम मात्र है. मोबाइल टावर लगाने के नियम, मोबाइल टावर रेडिएशन इफ़ेक्ट क्या है?

their disadvantages

ध्यान भटकाता है – मोबाइल होने से सारा ध्यान उसी पर लगा रहता है, विद्यार्थी के जीवन में तो ये सबसे अधिक दुष्प्रभाव डालता है. आजकल छोटे से लेकर सभी बच्चे अच्छे से मोबाइल चला लेते, और दिन भर गेम, विडियो चलाते रहते है. बच्चो में इसकी बहुत गन्दी आदत लग रही है, जिससे वे पढाई एवं दूसरी चीजों में ध्यान ही नहीं लगा पाते है. बच्चे बाहर जाकर खेलने की बजाय मोबाइल में ही लगे रहते है. बच्चों को मोबाइल की गन्दी आदत से बचाना चाइये, उनके लिए मोबाइल चलाने का समय निश्चित कर देना चाहिए.

सेहत में नुकसान – लगातार मोबाइल चलाने से आँखों को नुकसान होता है. बच्चे एक टकटकी लगाये गेम खेलते है, जिससे कम उम्र में ही बच्चों की आँखें ख़राब होने की शिकायत आजकल बढ़ती ही जा रही है. एक सर्वे के अनुसार मोबाइल से निकलने वाली किरणें शरीर पर घटक प्रभाव करती है, जिससे बड़ी बड़ी बीमारियों के खतरे बढ़ रहे है. मोबाइल कई बार जानलेवा भी साबित होता है. मोबाइल की बैट्री का आजकल भरोसा नहीं रहता है, और हम इसकी सावधानी पर ध्यान भी नहीं देते है. मोबाइल बैटरी फटने से कई लोग को घातक नुकसान हुए है, जिसकी ख़बरें समाचार पत्र पर आये दिन आती रहती है.

समय का दुरुपयोग – मोबाइल एक गन्दी लत है, जो पड़ जाये तो छुटाना मुश्किल है. लोग आजकल कहते है, जैसे नशा मुक्ति केंद्र होते है, वैसे मोबाइल मुक्ति केंद्र भी होना चाइये. दिनभर मोबाइल में लगे रहने से बच्चे ढंग से पढाई नहीं करते, लोग अपना काम काज छोड़ मोबाइल की दुनिया में लगे रहते है, जिससे समय बर्बाद होता है. लोग मोबाइल को देर रात तक चलाते रहते है, जिससे नींद पूरी नहीं और शारीरिक परेशानियाँ सामने आती है.

अपनों से दूर करता है – मोबाइल में लगे रहने से लोग अपने परिवार से दूर होते जा रहे है. आजकल सभी की आदत होती है, दिन भर काम करके घर लौटकर मोबाइल हाथ में ले लेते है और परिवार वालों के साथ बैठ कर भी किसी और दुनिया में रहते है. कहते है मोबाइल बाहरी दुनिया से तो जोड़ता है, लेकिन अपने आसपास की दुनिया से दूर करता जा रहा है. लोग फॅमिली टाइम को जरुरी नहीं समझते है, लेकिन ये बहुत जरुरी है.

एक्सीडेंट होते है – लोग गाड़ी चलाते समय भी मोबाइल का प्रयोग करते है, जो की बिलकुल गलत है. इससे आये दिन बड़ी बड़ी दुर्घटना की खबर आती है. गाड़ी चलाते वक़्त मोबाइल का प्रयोग बिलकुल नहीं करना चाहिए, इससे ध्यान भटकता है.

गलत आदतें पड़ रही है – मोबाइल में बहुत सी अवांछित चीजें भी होती है, जिसे बच्चों को नहीं देखना चाहिए. आजकल कम उम्र में ही सबके पास मोबाइल होता है, और फिर वे दुनिया की बातों में आकर गंदे गंदे मेसेज, विडियो एक दुसरे को भेजते है, जिससे बच्चे समय से पहले ही बिगड़ने लगे है.

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