sneh निर्झर बह गया कविता का मूल भाव है
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स्नेह निर्झर' कविता का मूल भाव है :
स्नेह निर्झर बह गया है , कविता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी द्वारा लिखी गई है | कविता में निराला जी ने समय के महत्व और आंतरिक शक्ति के धीरे-धीरे खत्म होने के बारे में बताता है | सुख के सभी के पास समय होता है , परंतु आज के समय में किसी दुःख में कभी काम नहीं आता है | जीवन एक अर्थहीन बन गया है | एक दूसरे के प्रति प्रेम की भावना खत्म हो गई है | आज के समय में प्रेम की धारा सब खत्म हो चूका है | संसार स्वार्थी हो गया है |
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