Hindi, asked by Piyabhra8826, 10 months ago

Sneh sura ka paan karne se kavi ka kya aashay he

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Answered by jayathakur3939
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‘स्नेह-सुरा’ का पान

‘स्नेह-सुरा’ का पान करने से, कवि का आशय यह है, कि लोग शराब पीकर मतवाले हो जाते हैं, परंतु कवि प्रेम के नशे में डूबकर मतवाला बना हुआ है।  कवि प्रेम को ही शराब बनाकर प्रस्तुम किया है। इसी तरह ‘सांसों के दो तार’, में सांसों को तार बना दिया है, अतः यहां पर रूपक अलंकार है

जहां पर उपमेय को ही उपमान बना दिया जाये वहां पर रूपक अलंकार होता है। उपमेय अर्थात जिसका वर्णन किया जाये। यहां पर ‘स्नेह’ का वर्णन किया जा रहा है, तो वह हुआ उपमेय। उपमान अर्थात जिसके साथ उसका रूप परिवर्तन कर जाये। यहां पर ‘सुरा’ उपमान है।

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