So
ben
beg.
h
CA
ted
Ani
2 cho
deste
22
रामधारी सिंह 'दिनकर'
रामधारी सिंह 'दिनकर' का नाम तो आपने सुना ही होगा। उनकी कुछ कविताएँ भी
पढ़ी होंगी। 'हठ कर बैठा चाँद एक दिन माता से यह बोला, सिलवा दे माँ मुझे
ऊन का मोटा एक झिंगोला' कविता शायद आपने पढ़ी हो। यह इन्हीं की लिखी
कविता है। सन् 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया था और उसमें हमारे
देश की पराजय हुई थी, तो दिनकर का मन दुख से भर उठा। दिनकर राष्ट्रवादी कवि
हैं। इस पराजय के लिए उन्होंने देश के राजनीतिक नेतृत्व को जिम्मेदार माना और
'परशुराम की प्रतीक्षा' शीर्षक से एक लंबी कविता की रचना की। इस पाठ में इसी
कविता के कुछ चुने हुए अंश आप 'परशुराम के उपदेश' शीर्षक से पढ़ेंगे।
उद्देश्य
इस पाठ को पढ़ने के बाद आप
कविता में निहित दर्शन और विचारों की सराहना कर सकेंगे;
कविता में निहित उमंग, उत्साह, वीरता, स्वाभिमान, स्वतंत्रता, संस्कृति के प्रति
प्रेम जैसे गुणों को पहचान कर उन पर टिप्पणी कर सकेंगे;
राष्ट्रवाद का अर्थ स्पष्ट कर सकेंगे;
कविता में प्रयुक्त लाक्षणिक प्रयोगों और प्रतीकों को स्पष्ट कर सकेंगे:
कवि की ओजपूर्ण और दार्शनिक भाषा पर टिप्पणी कर सकेंगे।
.
AL क्रियाकलाप
वर्तमान युग में विनम्र, संतोषी और वैरागी बने रहकर अपने देश तथा स्वाधीनता की
सुरक्षा हम नहीं कर सकते। हमें शक्तिशाली और निडर होकर तथा जान हथेली पर
रखकर शत्रु का सामना करना होगा। सबल हाथों में ही राष्ट्र सुरक्षित रह सकता है।
'दिनकर' ने अपने 'कुरुक्षेत्र' प्रबंध काव्य में लिखा है-
Answers
Answered by
0
Answer:
hi
Explanation:
it is very big sums I like it
Similar questions