sochana aur Narmada nadi ki Pranay Katha
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संपूर्ण विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जहां पवित्र नदियों को देवी स्वरूपा माना गया है। इनके उद्गम, प्रकटन और जीवन प्रवाह की रोचक कहानियां हैं। देवी-देवताओं की तरह ही इनके प्रेम, विवाह, विरह और प्रतिशोध की भी गाथाएं हैं। ऐसी ही एक रोचक गाथा है मां नर्मदा की जिन्होंने अपने युवा साथी से प्रेम में धोखा खाने के बाद ऐसा कदम उठाया कि प्रेमी के हिस्से में सदा के लिए पछतावा आया और फिर वह कभी उनका मुंह नहीं देख सका। नर्मदा अपने हृदय में विरह की जो पीड़ा लेकर बहीं वह आज भी उनके जल की कल-कल ध्वनि के बीच अपना आभास कराता है। हम सुनाने जा रहे हैं मां नर्मदा के जन्म लेने, उनके युवा होने और प्रेम में विश्वासघात होने पर विरक्त होकर जीने की वह मार्मिक कहानी।
नर्मदा के उद्गम और प्रवाह को लेकर जो कहानियां प्रचलित हैं उनमें उनके निश्छल प्रेम, प्रेमी की बेवफाई और फिर प्रतिशोध स्वरूप आजीवन कुंवारे रहने और फिर कभी प्रेमी का मुंह न देखने के लिए नदी बहकर विपरीत दिशा में बहने का दर्द बयां किया जाता है। कहते हैं नर्मदा ने अपने प्रेमी शोणभद्र से धोखा खाने के बाद आजीवन कुंवारी रहने का फैसला किया हर कथा का अंत कमोबेश यही है कि शोणभद्र के नर्मदा की दासी जुहिला के साथ संबंधों के चलते नर्मदा ने अपना मुंह मोड़ लिया और उलटी दिशा में चल पड़ीं। सत्य और कथ्य का मिलन देखिए कि नर्मदा नदी विपरीत दिशा में ही बहती दिखाई देती है।
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