social media ka hamare jeevan par sakaratmak or nakaratmak prabhav
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सोशल मीडिया या नेटवर्क के नकारात्मक प्रभाव में से एक यह व्यसन की ओर जाता है। सामाजिक स्थलों पर अनगिनत घंटे बिताते हुए एक विशेष कार्य से ध्यान और ध्यान को हटा सकते हैं। इससे लोगों, विशेष रूप से किशोरों और छात्रों के प्रेरक स्तर को कम करता है। वे मुख्य रूप से रोजमर्रा की जिंदगी के व्यावहारिक ज्ञान और विशेषज्ञता को सीखने के बजाय प्रौद्योगिकी और इंटरनेट पर भरोसा करते हैं।
इन सामाजिक नेटवर्किंग साइटों से बच्चों को बहुत प्रभावित किया जा सकता है अगर उन्हें उनका उपयोग करने की अनुमति है इसका कारण यह है कि कभी-कभी लोग सोशल मीडिया पर फ़ोटो साझा करते हैं जिसमें हिंसा होती है, जो बच्चों और किशोरों के व्यवहार को नुकसान पहुंचा सकती है। यह समग्र समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालता है क्योंकि इन बच्चों और किशोरों ने अपराध से संबंधित गतिविधियों में खुद को शामिल किया है।
सोशल मीडिया का एक और नकारात्मक पहलू यह है कि उपयोगकर्ता बहुत ज्यादा जानकारी साझा करता है जो उन्हें धमकियों का सामना कर सकता है। कड़े सुरक्षा सेटिंग्स के साथ भी आपकी व्यक्तिगत जानकारी सामाजिक साइटों पर रिसाव हो सकती है। अपने वीडियो या चित्रों को डाउनलोड करना और अपनी स्थिति को कॉपी करना एक आसान काम है और कुछ क्लिकों के भीतर भी किया जा सकता है।
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मीडिया एक ऐसा जरिया है। जिसके द्वारा देश विदेश की जानकारी, डाटा को एक साथ लाखों लोगों तक पहुँचाया जाता है। पहले लोग अपनी बात दूसरों तक पहुँचाने के लिए, डांस, गाने, नाटक का प्रयोग करते थे। जिससे वे बात दूसरों तक पहुंचा सकें। समय के साथ इसमें बदलाव आया और इसकी जगह प्रिंट मीडिया, फिर मास मीडिया, और अब सोशल मीडिया के द्वारा लोग अपनी बात सबके सामने रखते है। मीडिया संचार का एक बहुत आसान और मजबूत तरीका है। आजकल मीडिया के सबसे आसान तरीके है। रेडियो, टीवी, न्यूज़पेपर एवं इन्टरनेट। मीडिया का हमारी सोसाइटी में एक अहम स्थान है।
मीडिया ने जब पहली बार काम शुरू किया तो प्रिंट मीडिया आया। इसका मतलब, समाचार पत्र समाचार पत्र के इतिहास के बारे में यहाँ जानें। समाचार पत्रों के द्वारा लोग अपनी बात या, देश विदेश की जरुरी जानकारी उसमें छापने लगे। इसके द्वारा एक साथ बहुत से लोगों तक, बहुत कम समय में जानकारी जाने लगी। इसके बाद आया रेडियो, जिसके द्वारा हम गाने, विविध जानकारी एवं समाचार को सुन सकते थे। रेडियो के इतिहास के बारे में यहाँ पढ़ें। रेडियो की फ्रीक्वेंसी सेट कर, ये गाँव-गाँव शहर पहुँचने लगा, इसके द्वारा और भी जल्दी जानकारी मिलने लगी. इसके बाद मीडिया के क्षेत्र में क्रांति लाई टीवी ने. भारत में दूरदर्शन चैनल के साथ सभी के घर में टीवी आई. टीवी में मनोरंजन के लिए बहुत से सीरियल, ज्ञान वर्धक बातें आती थी, इसके साथ ही इसमें समाचार का प्रसारण होने लगा। इसमें किसी भी कार्यक्रम को सुनने के साथ साथ हम देख भी सकते थे। उस समय मीडिया चैनल के नाम पर सिर्फ दूरदर्शन था। दूरदर्शन की पुरानी यादों के बारे में यहाँ पढ़ें। ये दिन में 2 बार 10-15 min के लिए ही आता था, जिसमें देश-विदेश की जरुरी बातों को ही कवर किया जाता था।
मीडिया का सकारात्मक प्रभाव और फायदे –
मीडिया का सबसे बड़ा साधन आज के समय में टेलीविज़न है. टीवी में आज जितने मनोरंजन के चैनल है, उतने ही या उससे भी ज्यादा समाचार चैनल है.
बच्चों का ज्ञान बढ़ता है. बच्चे डिस्कवरी जैसे चैनल, क्विज प्रोग्राम के द्वारा बहुत कुछ सीखते है.
रेडियो भी एक अच्छा माध्यम है, इसके द्वारा कही पर भी रहकर जानकारी मिल जाती है. आजकल मोबाइल में भी रेडियो, एफ़एम् की सुविधा मौजूद रहती है.
देश दुनिया के अलग अलग प्रान्त, धर्म के लोग एक साथ आकर अपनी बात, अपने टैलेंट को इसमें दिखा सकते है.
सभी विषयों के लिए अलग अलग चैनल हो गए, जिससे अपनी मर्जी, मन मुताबित जब जो चाहा वो देख लिया.
बच्चों के लिए अलग से चैनल है, जिससे अभिभावक उन्हें सिर्फ वही दिखा सकते है, और बाकि चैनल से उन्हें दूर रख सकते है.
टीवी पर ढेरों स्पोर्ट्स चैनल भी आते है, इन्हीं की बदौलत हम घर बैठे बैठ दूर दराज चल रहे क्रिकेट मैच का मजा पाते है.
मीडिया का रूप बढ़ने से बड़े नेता अभिनेता कुछ भी गलत काम करने से डरते है, क्यूंकि उनकी हर गतिविधि पर मीडिया की पेनी नजर होती है.
मीडिया वाले अपनी बात, खबर पहुँचाने के लिए दिन रात मेहनत करते है, हर मीडिया वाला यही कोशिश करता है, कि उसके चैनल में सबसे पहले न्यूज़ या प्रोग्राम टेलीकास्ट हो. मीडिया हमारी रोजमर्रा की ज़िन्दगी का हिस्सा बन चुकी है.
मीडिया चैनल के नकारात्मक प्रभाव–
आजकल टीवी पर कार्यक्रम से ज्यादा तो विज्ञापन आता है. टीवी चैनल वालों को विज्ञापन से पैसा मिलता है, जिससे वे अपने कार्यक्रम में विज्ञापन अधिक दिखाते है, और प्रोग्राम को छोटा कर देते है.
मास मीडिया, सोशल मीडिया पर दिखाए जाने वाले प्रोग्राम कई बार गलत शिक्षा भी देते है. इसमें क्राइम से जुड़े प्रोग्राम भी आते है, जो कई लोगों को नए नए आईडिया दे देते है, और इससे हमारे समाज में भी तरह तरह की आपराधिक घटना होने लगती है.
मीडिया वाले अपनी न्यूज़ बनाने के लिए, कुछ भी बोलते है, किसी भी हद तक चले जाते है. आजकल मीडिया में सच्चाई कम कंटेंट ज्यादा होता है.
मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म बन चूका है, जो समाज में एक महत्वपूर्ण ऊँचा स्थान रखता है, उसको अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए खुद काम करना चाहिए. वैसे कुछ भी कहो मीडिया वाले बहुत मेहनत करते है, वे 24 घंटे काम करते है, जिससे देश, समाज को मनोरंजित कर सकें. उन्ही की बदौलत फिल्म अभिनेता, स्टार बनता है, राजनेता का कालाचिटठा सामने आता है.