Hindi, asked by 8d25noheen, 4 months ago

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Answered by Anonymous
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दीपावली

पूरे भारत में शरद ऋतु में दीपावली का त्यौहार किसी न किसी रूप में बड़े उल्लास और उत्साह से मनाया जाता है घरों की सफाई की जाती है रंग रोगन किया जाता है इसलिए दीपावली को स्वच्छता का त्योहार भी कहा जाता है दीपावली हमारे देश का प्राचीन त्यौहार है कहा जाता है कि जिस दिन श्री राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे, वह अमावस्या का दिन था उस रात को दीपों से जगमगाया के अयोध्या वासियों ने श्रीराम का स्वागत किया था उसी दिन से कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली के रूप में मनाया जाने लगा एक अन्य कारण यह भी बताया जाता है कि इस दिन जैन धर्मावलंबियों के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी इसलिए उस दिन को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाने लगा

दीपावली दीपों का त्योहार है प्रकाश का त्योहार है सुख समृद्धि का त्योहार है हर्ष विनोद का त्योहार है प्यार प्रीति और उल्लास का त्योहार है मनुष्य ने ईश्वर से सदैव अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने की प्रार्थना की है यह अंधकार अज्ञान का है, भाव का है, दिन हीनता और गरीबी का है, आपसी भेदभाव और मनमुटाव का है दीपावली के दिन दीप जलाकर हम संपूर्ण मानव जाति को इन सब से मुक्त करने की कामना करते हैं, ज्ञान का प्रकाश फैलाने का संकल्प लेते हैं

यह सुख समृद्धि का त्यौहार है हमारे कृषि प्रधान देश में खरीफ की फसल इस समय तक कटकर घर में आ जाती है घर आने से भर जाते हैं और लोग हर्ष पूर्वक दीपावली मनाकर समृद्धि की देवी लक्ष्मी का पूजन करते हैं

दीपावली का त्यौहार वास्तव में प्रकाश और आनंद का पर्व है इस अवसर पर घरों में तरह-तरह की मिठाइयां और पकवान बनते हैं

आग जारी है

Answered by ItZzMissKhushi
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दशहरा का अर्थ - दशहरा शब्द दो हिंदी शब्दों ‘दस' और 'हारा 'से मिलकर बना है, जहाँ 'दस' गणिता के अंक दस (10) और हारा शब्द 'सत्यानाश/पराजित' का सूचक है। इसलिए यदि इन दो शब्दों को जोड़ दिया जाए तो 'दशहरा' बनता है, जो उस दिन का प्रतीक है जब दस सिर वाले दुष्ट रावण का भगवान राम ने वध किया था।

बुराई पर अच्छाई की जीत - दशहरा को भारत के कुछ क्षेत्रों में विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है। यदि हम क्षेत्रीय और जातीय मतभेदों को अलग रखकर विचार करें, तो इस त्योहार के आयोजनों का एक ही मकसद है और वह है बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देना।

दूसरे शब्दों में, यह त्योहार बुराई की शक्ति पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू पौराणिक कथाओं पर नजर डालें, तो कहा जाता है कि इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध कर दिया था। अन्य परंपराओं का यह भी मानना है कि भगवान राम ने दशहरा के दिन ही असुरों के महान राजा रावण से युद्ध किया था और उसे पराजित कर ये सिद्ध किया था कि बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है।

इससे हमें यह पता चलता है कि दोनों घटनाओं का परिणाम समान है, बुराई पर सच्चाई की जीत निश्चित है। जिसका परिणाम अंधकार पर प्रकाश, झूठ पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है।

दशहरा समारोह - पूरे भारत में दशहरा के पर्व को बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भारत में विभिन्न संस्कृतियां होने के बावजूद, यह किसी भी तरह से इस त्योहार के उत्साह को प्रभावित नहीं करती है। दशहरा/विजयदशमी के पूरे त्योहार में सभी का उत्साह और जोश एक समान रहता है।

विजयदशमी के अवसर पर, पश्चिम बंगाल के निवासी बिजॉय दशमी मनाते हैं जो दुर्गा पूजा के दसवें दिन का प्रतीक है। इस दिन, देवी की मूर्तियों को नदी में विसर्जित करने के लिए जुलूस के साथ ले जाया जाता है और उसका विसर्जन किया जाता है। विवाहित महिलाएं भी एक-दूसरे के चेहरे पर सिंदूर लगाती हैं, जबकि अन्य स्त्रियां बधाई का आदान-प्रदान करती हैं और एक दूसरे को दावत देती हैं। कुछ जगहों पर इसी दिन शस्त्र पूजा करने की भी परंपरा है।

ये एक धार्मिक और पारंपरिक उत्सव है जिसकी जानकारी प्रत्येक बच्चे को होनी चाहिये। ऐतिहासिक मान्यताओं और प्रसिद्ध हिन्दू धर्मग्रंथ रामायण में ऐसा उल्लेख किया गया है कि भगवान राम ने रावण को मारने के लिये देवी चंडी की पूजा की थी, जिसके बाद ही अमरता का वरदान प्राप्त कर चुके रावण वध करना संभव हो पाया था।

रामलीला का आयोजन - दशहरा राक्षसों के राजा रावण पर भगवान राम की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। लोग दशहरा को दस दिनों तक उनके बीच हुए युद्ध को नाटक के रूप में भी मनाते हैं। इस नाटकीय रूप को राम-लीला कहा जाता है। उत्तर भारत में लोग मुखौटे पहनकर और विभिन्न नृत्य रूपों के माध्यम से राम-लीला का आयोजन करते हैं, साथ ही इसका लुत्फ भी उठाते हैं।

रावण दहन - रामायण में कथित छंद का पालन करते हुए, वे रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे तीन बड़े राक्षसों के विशाल आकार के पुतले बनाते हैं। इसके बाद पुतलों को जलाने के लिए उनमे विस्फोटक पदार्थ भरा जाता है और जमकर आतिशबाजी की जाती है। इस दौरान एक आदमी भगवान राम की भूमिका निभाता है और जलाने के लिए पुतलों पर आग लगे हुए तीर चलाता है। लोग आमतौर पर किसी मुख्य अतिथि को भगवान राम की भूमिका निभाने और उस पुतले को जलाने के लिए आमंत्रित करते हैं। यह आयोजन हजारों दर्शकों के मौजूदगी में खुले मैदान में सुरक्षा को ध्यान में रख कर किया जाता है।

हर उम्र के लोग इस मेले का लुत्फ उठाने के लिए यहाँ उपस्थित होते हैं। बच्चे इस आयोजन का सबसे ज्यादा इंतजार करते हैं और अपने माता-पिता से आतिशबाजी को देखने के लिए ले जाने की जिद करते हैं। वे आतिशबाजी देखते हैं और आश्चर्यजनक दृश्यों का आनंद उठाते हैं।

दशहरा का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। रावण दहन का यह कार्यक्रम लोगों को एकजुट करता है, क्योंकि इसके दर्शक न कि केवल हिंदू धर्म से बल्कि सभी धर्म के लोग होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दशहरा हमें सिखाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई को मात देती है और प्रकाश हमेशा अंधेरे पर विजय प्राप्त करता है।

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Hello Noheen

kaisi ho tum

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